स्टेट चीफ शशि भूषण दूबे कंचनीय
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी व बिगड़े हालातों को लेकर लगता था कि कुछ हद तक समझौता मिल जाएगा. कोरोना संकट खत्म हुआ नहीं कि दूसरा टिड्डी संकट आ धमका. राष्ट्र के फ़ूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइज़ेशन के मुताबिक चार करोड़ की संख्या वाला टिड्डियों का एक दल 35 हज़ार लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य को समाप्त कर सकता है. आमतौर पर यह टिड्डी दल जून से नवंबर के मध्य सक्रिय होते हैं लेकिन इस बार अप्रैल से मई महीने में ही आ गया है कहा जाता है यह टिड्डी दल पाकिस्तान से आकर भारत के कई प्रदेशों व उनके जिलों लिए नया संकट बन रहे है. टिड्डी दलों का आतंक कृषकों समेत अन्य लोगों को दुष्प्रभावित करता है उनके आतंक को देखते हुए सभी जिले के अधिकारी सचेत हो गए हैं वहीं जनपद के जिलाधिकारी संजीव सिंह के निर्देश के क्रम में जिला उद्यान अधिकारी ने अवगत कराया है कि राजस्थान से मथुरा,आगरा एवं झांसी जनपदों में टिड्डी दलों का प्रवेश हो रहा है और पड़ोसी जनपदों की ओर बढ़ने की संभावना है ऐसी दशा में जिला अधिकारी संजीव सिंह ने सब्जी उत्पादक कृषकों को विशेषकर निर्देशित कर सावधान किया.
टिड्डी दलों का परिचय व उनके प्रकोप से सावधानी-
टिड्डी कीट के नाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे यह लगभग दो से ढाई इंच लंबा कीट होता है. यह बहुत ही डरपोक होने के कारण समूह में रहते हैं, टिड्डी दल किसानों का सबसे बड़ा शत्रु है. टिड्डियां एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है. टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड बनाकर पेड़ पौधों एवं वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं, यह दल 15 से 20 मिनट में फसल की पत्तियां को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं. यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं यह टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम 6:00 बजे से 8:00 बजे के आस-पास पहुंच कर जमीन पर बैठ जाते हैं यह टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों झाड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं तथा रात भर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर सुबह 8:00 से 9:00 बजे के करीब उड़ान भरते हैं. अंडा देने की अवधि में इनका दल एक स्थान पर 3 से 4 दिन तक रुक जाता है. बड़े आकार के टिड्डी दलों का प्रकोप राजस्थान राज्य से होते हुए मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र की तरफ से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है टिड्डी संकट को देखते हुए अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं जिसके बाद कृषकों को सजग रहने को कहा है.
टिड्डी दलों के आक्रमण से बचाव एवं उपाय-
•टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आसपास मौजूद घास- फूस जलाकर धुंवा करना चाहिए जिससे टिड्डी दल खेत में न बैठ सके और आगे निकल जाय.
● डरपोक स्वभाव टिड्डी दल दिखाई देते ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज करके भगाया जा सकता है. पटाखे फोडने,थाली बजाने एवं ढोल नगाड़े बजाकर तथा ट्रैक्टर के साइलेंसर को निकाल कर तेज ध्वनि करने से टिड्डी वहां रुकने से परहेज़ करते हैं और वहीं खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर टिड्डी व उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है.
रासायनिक नियंत्रण –
यह टिड्डी दल शाम को 6:00 से 7:00 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8:00 से 09:00 बजे के करीब उड़ान भरता है इसी अवधि में इनके ऊपर शक्ति ट्रैक्टर चलित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको आसानी से मारा जा सकता है यह छिड़काव रात्रि 11:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक के लिए उपयुक्त समय होता है वहीं क्लोरोपाईरीफास 20% ईसी या बेंडियोकार्ब 80% 125 ग्राम 1200 मिली या क्लोरोपाईरीफास 50% ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8% ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25% एस0सी0 1400 मिली या डायफ्लुबेनजेयूरोन 25% डब्लयूपी 120 ग्राम या लैम्बडा-साईहेलोथ्रिन 10% डब्लयूपी 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशक का उपयोग कर नष्ट किया जा सकता है।टिड्डी के आतंक को खत्म करने के लिए मैलाथियान 05% धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर द्वारा बुरकाव करें बुरकाव प्रातः काल करना चाहिए क्योंकि प्रातः समय पत्तियों पर ओस पड़ी रहने धूल पत्तियों पर चिपक जाती है जिससे टिड्डी को मार कर उनके खतरे से बचा जा सकता है। यह टिड्डी दल वॉर्मिंग के चलते मौसम में आए बदलाव को कारण माना जा रहा है कि टिड्डी दलों की आबादी और हमले बढ़ रहे हैं. एक मादा टिड्डी अपने जीवन में कम से कम तीन बार अंडे देती है और एक बार में 95 से 158 अंडे तक दे सकती है। एक वर्ग मीटर में टिड्डियों के करीब 1000 अंडे हो सकते हैं एक टिड्डी का जीवन सामान्यतः तीन से पांच महीने का होता है दूसरी तरफ ये नमी वाले इलाकों में पनपते हैं इसका प्रमुख कारण है कि टिड्डीयों की संख्या बढ़ रही.