रांची: ऑल स्कूल पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता कवलजीत सिंह ने कहा है कि निजी स्कूलों के फीस के मामले में कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे द्वारा दिया गया बयान उनके मानसिक दिवालियापन का परिचायक है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने राज्य के सभी निजी स्कूल संचालकों को छात्रों से लाॅकडाउन की अवधि का फीस नहीं लेने संबंधी निर्देश दिया है. इस संबंध में कांग्रेस की अनुषंगी इकाई एनएसयूआई ने भी छात्र-अभिभावक हित को ध्यान में रखते हुए झारखंड के सभी निजी स्कूल प्रबंधन से आग्रह किया है.
झारखंड प्रदेश एनएसयूआई के उपाध्यक्ष ने भी राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री के आदेश पर सहमति जताते हुए लाॅकडाउन की अवधि का स्कूल फीस माफ करने की मांग की है. अब कांग्रेस प्रवक्ता के बयान से महागठबंधन में ही विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है. झामुमो कोटे से मंत्री जगरनाथ महतो एक ओर लाॅकडाउन की अवधि का स्कूल फीस नहीं लेने की बात कह रहे हैं. वहीं, महागठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस के प्रवक्ता स्कूल प्रबंधन का पक्ष लेते हुए फीस माफी को अनुचित करार दे रहे हैं. सिंह ने कहा कि आलोक दुबे कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नहीं, बल्कि निजी स्कूल प्रबंधन के प्रवक्ता के रूप में बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के संचालक विभिन्न मद में अभिभावकों से भारी-भरकम राशि वसूलते हैं.
स्कूलों में अवकाश की अवधि का भी फीस, बस किराया सहित अन्य शुल्क वसूला जाता है. यह सर्वविदित है कि अधिकतर निजी स्कूल प्रबंधन हर स्तर पर अभिभावकों का शोषण करती है. ऐसे में सत्ताधारी दल में शामिल कांग्रेस के प्रवक्ता का बयान उनकी मंशा जाहिर करता है. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को लाॅकडाउन की अवधि का वेतन भुगतान करने से स्कूल प्रबंधन की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अलबत्ता छात्रों-अभिभावकों से लाॅकडाउन की अवधि का फीस नहीं लिए जाने से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी.