साजन मिश्रा,
गोड्डा: झारखण्ड प्रदेश के गोड्डा जिला अंतर्गत राजनीतिक एवं हिंदी साहित्य के विद्वानों की पृष्ठभूमि रही सनौर गांव के समर्पित कांग्रेसी नेता सुबोध चन्द्र झा ने लगभग 65 वर्ष की उम्र में रांची स्थित रिम्स में आखिरी सांस ली.
ज्ञात हो कि दिवंगत मृतात्मा पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे जिनका इलाज रांची में हो रहा था, वहीं शुक्रवार को अहले सुबह रिम्स में आखिरी सांस ली.
दिवंगत मृतात्मा गोड्डा जिला के बिहार-झारखण्ड की सीमा पर स्थित सनौर गांव में जन्मे, ये वही सनौर गांव है जिसने गोड्डा विधानसभा को प्रथम विधायक के रूप में स्वर्गीय बुद्धिनाथ झा”कैरव” को जन्म दिया. हिंदी साहित्य जगत के उद्भट विद्वान स्वर्गीय जनार्दन मिश्र”परमेश” को जन्म दिया, स्वतन्त्रता सैनानी स्वर्गीय मतिकान्त मिश्र को प्रदान किया और ऐसे ही कई नूर इस धरती से निकल कर देश और दुनिया में अपने नाम को रौशन कर रहे हैं.
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दिवंगत झा का लालन-पालन एवं माध्यमिक स्तर तक का शिक्षा-दीक्षा अपने ननिहाल बसंतराय के महेशपुर गांव से हुई, जिसके उपरांत उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए साहेबगंज का रुख किया. शुरू से ही जन्मभूमि सनौर से मिले संस्कार, व्यवहार एवं अपने पुरखों के जनसेवा रूपी भाव से ओतप्रोत होकर अपने-आप को एक समाजसेवी के रूप में हर घड़ी तैयार रखा.
शिक्षा जगत में लगनशील एवं तेज तर्रार विद्यार्थी के रूप में रहने के कारण उच्च शिक्षा के ठीक बाद नियोजन के सिलसिले में पथरगामा के गांधीग्राम में गदाधर ट्रस्ट सिंचाई परियोजना में लेखापाल के पद पर तकरीबन 10 वर्ष तक कार्यरत भी रहे, उसी क्रम में उसी परियोजना में कार्यरत उच्च पदस्थ पदाधिकारी गीता प्रसाद के सानिध्य में गांधीवादी विचार से ओतप्रोत एवं कांग्रेस के सक्रिय राज में जिलाव्यापी कार्यकर्ता के रूप में विख्यात हुए और अपना राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.
अखण्ड बिहार के समय से ही अपने प्रखर तेज, कुशल नेतृत्व एवं सामाजिक आव-भाव से कांग्रेस के पदों पर अपनी जगह सुनिश्चित करते हुए अखण्ड बिहार के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय शिवचन्द्र झा के कार्यकाल में जिला बीस सूत्री के सदस्य के रूप में मनोनीत हुए, जिसके बाद युवा कांग्रेस कमिटी के गोड्डा जिलाध्यक्ष बने. अपनी कार्य कुशलता के कारण कांग्रेस में अपनी क्षवि को कोरे कागज के भांति सहेजते हुए गोड्डा जिला कांग्रेस कमिटी के जेनरल सेकेरेट्री भी रहे और राजनीतिक जीवन की शुरुआत से लेकर अपने जीवन के अंतिम सांस तक अपने-आप को कांग्रेस के सच्चे सिपाही के रूप में सदैव अपनी क्षवि को बरकरार रखते हुए अंतिम सांस ली.
सनौर निवासी जानकर सत्यानंद मिश्र बताते हैं दिवंगत सुबोध चन्द्र झा अपने जीवन में देश के सच्चे स्वतंत्रता सिपाही स्मृतिशेष कांति प्रसाद झा को आदर्श गुरु माने. मिश्र आगे बताते हैं कि स्मृतिशेष कांति प्रसाद झा देश आजादी के समय, देश के लिए समर्पित भाव एवं आदर्शपरक कार्य कर देशहित में अपने-आप को अकाल, काल के गाल में देश के लिए अपनी बलिदानी दे दी.
दिवंगत झा वैसे बलिदानियों के आशीर्वाद हैं जिनके आज चले जाने के बाद लोग उनके द्वारा किये गए जनहित रूपी कार्य, ईमानदार क्षवि, समर्पण विशेष भाव, जाति-धर्म, सम्प्रदाय के एकरूपता, जनसेवा रूपी दृढ़ता को सोच कर अपनी आंखें नम कर ले रहे हैं. दिवंगत मृतात्मा अपने पीछे अपनी अर्धांगिनी, दो पुत्र, एक पुत्री, एक भाई सहित नाती-पोते से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए.