रांची. प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदकुमार ने कहा कि कोरोना वायरस ने हमारे सामने बहुत सारे सवालों तथा मुद्दों को एक साथ खड़ा कर दिया है. इसका उत्तर हमें एकजुट होकर विश्वास से देना होगा. उन्होंने कहा कि कोरोना या तो हमें आर्थिक रूप से पीछे छोड़ेगा या फिर बीमार करके प्रभावित करेगा.
नंदकुमार प्रज्ञा प्रवाह झारखंड के फेसबुक लाइव में युग परिवर्तन और हिंदुत्व पर अपने विचार रख रहे थे.
उन्होंने कहा कि ईटली, अमेरिका, फ्रांस तथा जर्मनी जैसे संपन्न देशों को कोरोना ने घुटनों के बल बैठा दिया है. इन देशों के पास ज्ञान और तकनीकी की व्यवस्था होने के बावजूद भी ये और देशों को इससे जोड़ नही पाये.
चीन, जहाँ से ये बीमारी जाने-अनजाने में शुरू हुई, उसने भी दुनिया के सामने अबोध बालक जैसे अनभिज्ञता जाहिर की, जिसके कारण पूरा विश्व इस संक्रमण के चपेट में है.
हिन्दू दर्शन के अनुसार, ज्ञान को संपत्ति के रूप में छुपाकर नही रखा जा सकता है. ये एक दूसरे से बांटने के लिए ही हमें मिला है. सही समय पर ज्ञान का आदान-प्रदान हमें आने वाले संकट के प्रति सचेत करता है तथा उससे उबरने के उपायों को ढूंढने में मदद करता है.
इस महामारी के समय जी-20 का रोल पूरे विश्व के लिए शून्य की तरह था. उसने सिर्फ अपने हित के लिए सोचकर अपने आप को सेफ रखा. अपने देश में लॉकडाउन होने बाद सार्क देशों के साथ माननीय प्रधानमंत्री ने बैठक कर उन्हें हर संभव मदद करने की बात कही, जो कि हिंदुत्व की एक परिभाषा है. भारत ने इस महामारी में बहुत से देशों की मदद करके उनका नेतृत्व किया, जिसकी सराहना विश्व पटल पर अब तक हो रही है.
कोरोना आने के बाद अलग अलग फिलॉसफर ने अपने -अपने तथ्य दिए, जिसमें, डगलस मरे ने कहा कि शक्तिशाली नेशन और शक्तिशाली बनते जायेंगे तथा छोटे नेशन का शोषण होगा, उनके विकास का ग्राफ गिरता जाएगा. विश्व पटल पर उन्हें उभरने का मौका नही मिलेगा.
लेकिन भारत इस बात का समर्थन नही करता है. भारत ने पूरे विश्व को आध्यात्मिक तरीके से जोड़े रखा है. हमारा उद्देश्य पूरे विश्व का कल्याण करके सर्वश्रेष्ठ बनाने का है. किसी भी व्यक्ति को दुःख नही होना चाहिए सबका मंगल होना चाहिए. एकात्म मानव दर्शन तथा महात्मा गाँधी का स्वदेशी कथन पूरे विश्व को रास्ता दिखलाने वाला है. ग्राम समाज की कृषि व्यवस्था लोगों को इस संकट काल से बाहर निकलने का रास्ता दिखायेगा.
महात्मा गाँधी ने आजादी के समय ही जवाहर लाल नेहरू को पत्र के माध्यम से आर्थिक स्थिति के आधार से जुड़े विषयों के बारे में सोचने के लिए कहा था. जिसमें ग्राम, ग्राम आधारित कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग को वरीयता देने के लिए कहा.
लेकिन, नेहरू का मानना था कि ग्राम समाज अंधविश्वास का केंद्र है. इसका शहरीकरण होना देश के भविष्य के लिए जरूरी है. गाँव को खेती से ज्यादा महत्व देने लायक नही है. गाँधी जी के आदर्श ग्राम की परिभाषा नेहरू जी ने बदल दी. गाँव को खत्म करके शहरीकरण किया जाने लगा. हिन्दू अर्थव्यवस्था को खत्म करने के लिए हिंदुत्व के उपर लोगों ने समय-समय पर चोट किया जिसका खमियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं.
आज हम घर में बन्द हैं और पक्षी पशु सब बाहर हैं. हवा हमें शुद्ध रूप से मिलने लगी है. वातावरण साफ हो चुका है. उसका कारण है हम प्रकृति, खेत आदि का दोहन करने से खुद को मजबूरी के कारण रोके हुए हैं.
अगर हमें विश्व को पुनः जागृत करना होगा तो उसका तरीका सिर्फ हिंदुत्व है. जो हमें दान करने की बात करता है. हमें दया और प्रेम के साथ अपने इच्छानुसार जरूरतमंद लोगों को दान देना होगा.