नई दिल्ली: करीब आठ महीने पहले आया यह वायरस इतना नया है कि इसकी दवा और वैक्सीन तैयार करने का अबतक का सफर वैज्ञानिकों के लिए काफी चुनौती भरा रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण से इस समय दुनियाभर के 200 से ज्यादा देश जूझ रहे हैं. इस वायरस की संरचना, लक्षण और उपायों पर शोधकर्ता लगातार शोध कर रहे हैं. अब इस वायरस को लेकर हुए एक नए शोध में बिल्कुल नई जानकारी सामने आई है. कोरोना वायरस का संक्रमण होने पर हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम अतिसक्रिय हो जाता है. कोराना हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को कैसे चकमा देता है, यह शोध अध्ययन इसी विषय पर है.
कोरोना वायरस के बारे में यह पता चला है कि यह वायरस इंसानी शरीर के इम्यून सिस्टम को चकमा देकर संक्रमण फैलाता है या फैलाने की कोशिश करता है. इसी कारण इंसान का इम्यूनि सिस्टम उसकी पहचान नहीं कर पाता है. दरअसल, कोरोना वायरस एक मॉलिक्यूल की मदद से अपने जेनेटिक सीक्वेंस को उसी रूप में ढाल लेता है, जिससे यह संक्रमित के जेनेटिक सीक्वेंस का हिस्सा जैसा लगने लगता है.
अमेरिका के टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च शोधकर्ताओं ने ये नई जानकारी दी है. उनका कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीवायरल दवाएं बनाने में इस शोध अध्ययन से मदद मिलेगी. यह शोध अध्ययन कोरोना वायरस के रेप्ल्किेशन यानी संक्रमण के बाद शरीर में इसकी संख्या बढ़ाने के संबंध में भी जानकारी देता है.
अमेरिका के टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर की ओर से हुआ यह शोध अध्ययन रिसर्च जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है. इस शोध के मुताबिक, मॉलिक्यूल एनएसपी 10 वायरस के एम-आरएनए को संक्रमित व्यक्ति की कोशिका के एम-आरएनए की ही तरह रूप में ढाल देता है. ऐसा होने पर कोरोना वायरस संक्रमित के इम्यून सिस्टम की पकड़ में नहीं आ पाता है. इस तरह वायरस चकमा देने में कामयाब हो जाता है.
शोधकर्ता योगेश गुप्ता के मुताबिक, संक्रमित के एम-आरएनए की तरह ही अपने को ढाल कर कोरोना वायरस इम्यून सिस्टम को चकमा देता है. उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए अगर दवा तैयार की जाएगी तो यह कोरोना पर असरदार साबित होगी. दवा ऐसी तैयार की जाए, जिसके सेवन के बाद इम्यून सिस्टम संक्रमित और कोरोना के एम-आरएनए में अंतर समझ पाए. इससे हमारा इम्यून सिस्टम वायरस को बाहरी तत्व समझकर उससे लड़ पाएगा.
शोधकर्ता रॉबर्ट रोमास के मुताबिक इस शोध के दौरान वायरस के उस एंजाइम का 3डी स्ट्रक्चर खोजा गया है, जिसकी मदद से कोरोना रेप्लिकेट होता है यानी संक्रमित के शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना वायरस पर अबतक हुए शोधों के हिसाब से ये नई जानकारी सामने आई है, जो कोरोना के इलाज के लिए दवा तैयार करने में वैज्ञानिकों की मदद करेगी.