अमेरिका: अमेरिका के एक उच्च स्तरीय पैनल का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी सांस लेने और बात करने से भी फैल सकती है.
पैनल ने बुधवार को सुझाव दिया कि बीमारी फैलाने वाला वायरस एयरबोर्न (हवा में मौजूद) है. यह पहले के मुकाबले अब बहुत आसानी और सुगम तरीके से लोगों के बीच फैल रहा है.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि जब लोग सांस छोड़ते हैं तो उससे पैदा होने वाली अल्ट्राफाइन मिस्ट (धुंध) में वायरस जिंदा रहता है. विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिसिन की स्थायी समिति की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हार्वे फिनबर्ग ने एक पत्र में कहा, ‘वर्तमान शोध सीमित है, उपलब्ध अध्ययनों के परिणाम सांस लेने से होने वाले वायरस के प्रसार को दिखाते हैं.’
यह समिति अमेरिकी सरकार को विज्ञान और उभरती संक्रामक बीमारियों और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों से संबंधित नीतिगत फैसले लेने में मदद करती है.
एक वायरोलॉजिस्ट ने कहा, इससे यह समझा सकता है कि वायरस इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है और इसका प्रमाण भी मिल गया है. ऐसे में पूरी तरह से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है.
विशेष रूप से भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले देशों में एयरबोर्न वायरस और बैक्टीरिया अधिक संक्रामक और चिंता का विषय है. अभी तक भारत में कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या 2547 हो चुकी है जबकि मृतकों की संख्या 62 पर पहुंच गई है.
वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष और प्रोफेसर डॉक्टर जैकब जॉन ने कहा, ‘जैसा की हमें ज्ञात है कोविड-19 का वायरस तपेदिक और खसरे की तरह संक्रामक नहीं है लेकिन मौसमी फ्लू से कहीं अधिक संक्रामक है.’
अभी तक वैज्ञानिकों का मानना है कि सार्स-कोव2 जो कोविड-19 वायरस का कारण बनता है वह संक्रमित लोगों के खांसने या छींकने पर फैलता है. इस बीमारी के आम लक्षण बुखार, खांसी और थकावट और सांस लेने में तकलीफ होना है.