पंकज सिन्हा
लातेहार : वामदलों के आह्वान पर कोयला मजदूरों के तीन दिवसीय हड़ताल के समर्थन में माकपा ने शहीद बिरसा मुंडा के प्रतिमा स्थल पर कोयला खद्यानों तथा रेलवे एवं बैंक सेक्टर का निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. कोयला, रेलवे और बैंकिंग सेक्टर के निजीकरण पर रोक लगाओ. मोदी सरकार होश में आओ, कॉरपोरेट लूट बंद करो आदि नारे लगाए, माकपा के जिला सचिव सुरेन्द्र सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता सह चतरा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी अयूब खान ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार की मंशा कोयला उद्योग को निजी हाथों में बेचकर कोल इंडिया को अपाहिज करने की है. यदि केंद्र सरकार अपने मंसूबों में कामयाब होती है तो क्षेत्र के कोयला कामगारों के साथ साथ रैयत गुलामी की जंजीरों में जकड़ जाएंगे. मजदूर और रैयत अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे. रोजगार के अवसर समाप्त कर दिए जाएंगे. कोयला मजदूरों तथा प्रभावित लोगों को सही सम्मान व उचित वेतन नहीं मिल पाएगा. पेसा अधिनियम 1996 खनिज आवंटन में मिले ग्राम सभाओं के अधिकार भी दरकिनार कर दिया जाएगा, वन अधिकार अधिनियम जो जंगलों में किसी भी खनन के लिए ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है को भी केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार समाप्त करने पर तुली हुई है.
इन तमाम संवैधानिक अधिकारों को ताक में रखकर केंद्र सरकार कमर्शियल माइनिंग करना चाह रही है जो बिल्कुल असंवैधानिक है. इसे झारखंड के मजदूर और विस्थापित हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे. आगे कहा कि जल जंगल जमीन और खनिज जैसी राष्ट्रीय संपदा को बचाने के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता है.कोयले के वाणिज्यिक खनन के बहाने केंद्र सरकार कृषि, वन, पर्यावरण सभी की जिम्मेवारी कॉरपोरेट घरानों के हवाले करना चाहती है. आज रेलवे और बैंकिंग सेक्टर का भी निजीकरण करने की ओर सरकार अग्रसर है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के बहाने मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने का कार्य कर रही है. देश को तबाह और बर्बाद करने के लिए मोदी सरकार तुली हुई है. कोरोना वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर मे कोयला खद्यानों की निलामी रेलवे और बैंकिंग सेक्टर का निजीकरण करने का फैसला श्रमिकों और कर्मचारियों को संकट में डालेगा. कोयला मजदूरों ने देश की संपत्ति को बचाने के लिए आंदोलन छेड़ दिया है और अब यह रूकने वाला नहीं है. देश का मजदूर वर्ग प्रधानमंत्री के कोयला, रेलवे एवं बैंकिंग सेक्टर का निजीकरण करने के फैसले से आक्रोशित हैं. जिस तरीके से कमर्शियल माइनिंग की निलामी की कोशिश को कोयला कामगारों ने अपनी एकता और संघर्ष के बल पर पांच बार विफल कर दिया उसी तरह इस बार भी सरकार को पीछे हटना पड़ेगा. इस अवसर पर अंचल सचिव रसीद मियां, पचु गंझु, ललन राम, निरंजन ठाकुर और अजीज अंसारी शामिल थे.