छह-सात जिलों में बिजली कटौती से उद्योग धंधे प्रभावित
रांची: दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने बताया भुगतान की मांग को लेकर झारखंड के कमांड एरिया में करीब 300 मेगावाट बिजली कटौती शुरू कर दी है, इससे राज्य के छह-सात जिलों में उद्योग धंधे प्रभावित होने के साथ ही पानी आपूर्ति और घरेलू कामकाज भी प्रभावित हुए है. वहीं राज्य सरकार ने डीवीसी के इस रवैये को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए बिजली कटौती तुरंत बंद करने का आग्रह किया है. डीवीसी के कमांड एरिया वाले जिलों में आठ घंटे की बिजली कटौती से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है.
झारखंड राज्य ऊर्जा वितरण निगम लिमिटेड की ओर से कहा गया है कि कुछ बकाया भुगतान कर दिया गया है और शेष राशि का भी भुगतान जल्द ही कर दिया जाएगा. ऊर्जा वितरण निगम लिमिटेड के जनसंपर्क अधिकारी एमपी यादव ने बताया कि सितंबर महीने में डीवीसी के 200 करोड़ रुपये के बकाया में से पिछले दिनों 50 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है, शेष 150 करोड़ रुपये का भुगतान अगले सप्ताह कर दिया जाएगा, इसलिए डीवीसी का यह कदम उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार डीवीसी के बकाया भुगतान को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन कोविड-19 परिस्थितियों के कारण राजस्व संग्रहण में थोड़ी कमी आयी थी, लेकिन अब स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि भुगतान राशि को लेकर जो भी विवाद है, उसका समाधान बैठकर निकाला जा सकता है, लेकिन डीवीसी एक्ट के तहत उनकी भी जवाबदेही है कि वे धनबाद, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, बोकारो और गिरिडीह समेत सात जिलों के अपने कमांड एरिया में बिजली उपलब्ध कराये.
मिली जानकारी के अनुसार डीवीसी की ओर से बकाया भुगतान की मांग को लेकर अभी 30 प्रतिशत बिजली कटौती शुरू की गयी है और भुगतान नहीं होने पर यह कटौती बढ़कर 10-10 फीसदी बढ़ोत्तरी होगी और बिजली कटौती 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. बताया गया है कि डीवीसी के कमांड एरिया में राज्य सरकार का अपना ट्रांसमिशन नहीं है और पूरी तरह से डीवीसी पर ही अब तक निर्भरता है, हालांकि अब इन जिलों में भी झारखंड सरकार ट्रांसमिशन व्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटी है, जिसके बाद डीवीसी पर निर्भरता कम होगी. हालांकि अब भी डीवीसी में झारखंड सरकार की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लेकिन प्रबंधन में बहुमत नहीं होने के कारण डीवीसी अपने हिसाब से निर्णय लेती है. दूसरी तरफ कुछ राजनीतिक दलों द्वारा यह भी चेतावनी दी गयी है कि डीवीसी झारखंड के ही पानी और कोयले का उपयोग मिलता है और यहां के लोगों को बिजली नहीं मिलेगी, तो इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है.