रांचीः मुख्य सचिव डॉ डी के तिवारी ने बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास पर चल रहीं अलग-अलग योजनाओं को एक साथ समेकित करने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष बच्चों और धात्री माताओं का निबंधन कर बाल मृत्यु दर में गिरावट और संस्थागत प्रसव में बढ़ोत्तरी के लिए सार्थक परिणामो के साथ विभिन्न योजनाओं पर बड़ी राशि व्यय कर कार्य हो रहा है। वहीं यूनिसेफ के कतिपय सुझावों को राज्य सरकार के संज्ञान में लाने की बात कही। मुख्य सचिव झारखंड मंत्रालय में यूनिसेफ के प्रतिनिधियों के साथ झारखंड में सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की मजबूतीकरण पर विचार-विमर्श कर रहे थे।
डाटा दुरुस्त करें
सामाजिक कल्याण, खासकर 0 से 5 वर्ष के बच्चों और धात्री माताओं से संबंधित यूनिसेफ के डाटा से राज्य सरकार के डाटा के मिलान में बड़े अंतर को देखते हुए मुख्य सचिव ने उसे दुरुस्त करने का निर्देश दिया। यूनिसेफ ने बताया कि उनका डाटा 2017 तक का है। मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे भी बच्चों और धात्री महिलाओं को लेकर चल रही योजनाओं का अद्यतन डेटा बेस (Data Base) तैयार करें। उन्होंने कहा कि डेटा बेस यह भी शामिल करें कि एक-एक बच्चे और धात्री माताओं पर सरकार कितना खर्च कर रही है तथा उसका क्या फलाफल मिल रहा है।
बैठक में ये थे मौजूद
बैठक में मुख्य सचिव डॉ डी के तिवारी विकास आयुक्त श्री सुखदेव सिंह, सचिव श्री सुनील कुमार वर्णवाल, सचिव श्री नितिन मदन कुलकर्णी, सचिव श्रीमती हिमानी पांडे, सचिव श्री अमिताभ कौशल, यूनिसेफ के प्रतिनिधि समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।