दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में लॉकडाउन की अवधि को देश भर में 3 मई तक के लिए बढ़ाने की घोषणा की है. पीएम मोदी के संबोधन से कुछ देर पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती पर कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई.
मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की कि लॉकडाउन के दौरान दलित-मजदूरों और पिछड़ों का ख्याल रखे.
बसपा प्रमुख ने कहा कि देश भर में लागू लॉकडाउन की वजह से दलितों, अति पिछड़ों और गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई. उन्होंने कहा कि यही वजह रही कि देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हुए.
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उन्होंने कहा कि पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित व अति पिछड़े थे. सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की. जिसकी वजह से इस तबके के लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करना उचित समझा. इसके बाद सरकारों ने उन्हें ट्रकों और बसों से शेल्टर होम पहुंचाया.
मायावती ने कहा कि समाज में आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है. आज ये बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की.
इसके बाद ही दिल्ली समेत, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोग अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा को देखते हुए मजबूरी में अपने-अपने घरों के लिए पलायन करने लगे. पलायन करने वाले लगभग 90 फ़ीसदी दलित, आदिवासी व अति पिछड़े वर्ग से थे जबकि 10 फीसदी लोग समाज के अन्य वर्गों के गरीब थे.
उन्होंने कहा कि जब ये लोग अपने-अपने घरों के लिए जा रहे थे तो उन-उन राज्यों की सरकारों ने जातिवादी व हीन भावना के चलते इन लोगों को बॉर्डर तक छोड़ दिया. इतने खराब हालातों में भी सरकारों ने उन्हें नहीं रोका. इतना ही नहीं उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश भी नहीं की गई. जिसकी वजह से इन लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
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उन्होंने कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है. ये लोग जब पैदल ही निकले तो राज्य सरकारों को कोरोना फैलने की चिंता सताने लगी. इसके बाद मजबूरी में सरकारों को ट्रकों व बसों से उनके स्थानों तक भिजवाना पड़ा. अब भी अधिकांश लोगों को उनके घरों तक नहीं भेजा गया है बल्कि क्वारनटीन रखा गया है.
मायावती ने कहा कि इन लोगों की इस स्थिति को देखते हुए बाबा साहेब की जयंती पर मैं यह कहना उचित समझती हूं कि यदि इन लोगों ने स्वाभिमान के साथ खुद अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बाबा साहेब की बात मानी होती साथ ही ये लोग अगर जातिवादी और पूंजीवादी लोगों के बहकावे में नहीं आए होते तो आज पूरे देश में फैली महामारी के दौरान इनकी ऐसी खराब व दयनीय स्थिति नहीं होती.
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान के लागू होने के बाद अपने इन वर्गों के लोगों को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा था मैंने काफी कड़े संघर्ष व अथक प्रयासों से अपने इन वर्गों के लोगों को जिंदगी के हर पहलू में आगे बढ़ने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए संविधान में कानूनी अधिकार दिलाए हैं. इसमें वोट देने का खास अधिकार भी इनको हासिल है.
इसका पूरा लाभ लेने के लिए इन वर्गों को संगठित होकर और अपना अलग राजनीतिक प्लेटफॉर्म बनाकर केंद्र व राज्यों की मास्टर चाभी अपने हाथों में लेनी होगी. इस तरफ इन वर्गों के लोगों का अभी ध्यान नहीं गया है. यह काफी चिंता की बात है.