रांचीः मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी को पद से हटाने उनके कार्यालय की जांच एसीबी से कराने की मांग को लेकर रविवार को मोरहबादी स्थिति महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष झारखंड छात्र संघ व आमया संगठन के पदाधिकारियों ने धरना दिया.
अध्यक्ष एस अली ने कहा कि वन सेवा के अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी को नियमविरूद्ध तरीके से पिछले सरकार ने आयुक्त बना दिया जो पांच वर्षों उस पद पर बैठे है, नियमानुसार ये पद आईएएस के लिए है जिनका कार्यालय तीन वर्ष का होता.
सिद्धार्थ त्रिपाठी मनरेगा अधिनियम 2005 का धज्जियां उड़ाते हुए ग्रामसभा को दरकिनार उपर से योजनाएं थोप रहे है, मांग अधारित मनरेगा जिसमें कल्याणकारी योजनाओं का चयन ग्रामीणों द्वारा किया जाता था, सिंचाई कूप, तालाबों के जीर्णोद्धार, नादियों नालों में चेकडेम, खेत पगडंडी पथ, मिट्टी मरोम पथ, गांव ग्रेड वन पथ, फलदार वृक्ष रोपन आदि होते थे लेकिन उसे समाप्त कर लक्ष्य अधारित बनाकर मानव दिवस सृजन के नाम पर ऐसे योजनाएं थोपी जा रही जिससे लाभुक व ग्रामीण को लाभ नहीं मिल रही बल्कि सरकार राशि का दुरूपयोग और बंदरबाट हो रहा है.
डोभा योजना में अनेकों बच्चे की डूबकर मौत हो गयी. बिरसा हरित ग्राम योजना में लूट हुआ है. पौधे व खाद्य की खरीदारी करीबी एजेंसी से तीन गुणा अधिक कीमत में किया गया जो घटिया स्तर के थे, मनरेगा वार्षिक व्यय के 06% प्रतिशत आकस्मिता राशि में से 40-55 प्रतिशत राशि कर्मचारियों के वेतन भुगतान होता है बाकि बची राशि किस मद में खर्च होती है उसका हिसाब नहीं रहता.
मनरेगा अधिनियम अनुसार सोशल ऑडिट ना करवा कर आयुक्त ने गलत तरीके से गुरजीत सिंह को राज्य समन्वयक बनाकर जेएसएलपीएस द्वारा ऑडिट करवा रहे हैं, वही मनरेगा कर्मियों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है.
धरना में रंजीत उरांव, जियाउद्दीन अंसारी, संजय कुमार, नौशाद आलम, इमरान अंसारी, अंजर अहमद, एकराम हुसैन, अबरार अहमद, अमर उरांव, फजलूल कदीर, अब्दुल रहीम, अबू रेहान, तहमीद अंसारी, अब्दुल गफ्फार, जियारत हुसैन, रियाजुल अंसारी, महादेव उरांव आदि शामिल थे.