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दीप दान से कटती है अकाल मृत्यु का योग
रांची: प्रकाश का महा पर्व दीपावली शुक्रवार को धनतेरस अर्थात धन्वंतरि जयंती के साथ शुरू हो रहा है. दीपावली पंच पर्वों का महापर्व है. यह 5 दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन धन्वंतरि जयंती अर्थात धनतेरस मनाया जाता है. इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर अर्थात शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस महापर्व में दीपों का बड़ा महत्व है.
दीप जलाने से लेकर दीपदान करने का बड़ा ही पुण्य माना जाता है. दीप दान का महत्व बहुत अधिक है. दीपदान इन्हीं उद्देश्यों को लेकर किया जाता है. दीप प्रज्वलन देवताओं के निमित्त, पितरों के निमित्त, घर सजाने व अधंकार को प्रकाश में बदलने के लिए किया जाता है. कार्तिक महीना में दीपदान का विशेष महत्व है.
शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक घी के दीपक प्रज्वलित करते हैं और दान करते हैं उन्हे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. धनतेरस के दिन दीप पूजन और दान जीवनकाल मृत्यु से जैसे आकसमिक संकटों से बचाता है.
धनतेरस के दिन सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य दरवाजे पर दक्षिणमुखी दीप प्रज्वलित कर गंध व धूप से पूजा करनी चाहिए और दीप प्रज्वलित करनी चाहिए.
इस दिन दीप दान करने से घर में असमायिक मृत्यु नहीं होती है. शुभ काल में धनतेरस के दिन व्यवसायिक प्रतिष्ठान में नई गद्दी बिछाने चाहिए.
धनतेरस के दिन गोधूलि बेला में तील के तेल से दीपक जलाने से सुख समृद्धि आती है. इस दिन अखंड दीप जलाने से यम देवता के कोप से मुक्ति मिलती है. यम का दीपक आंटा से बनाया जाता है. जिसमें चार बत्ती जलाने का विधान है.
इस दिन धन प्राप्ति के लिए माता वैभव लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. इनकी पूजा से ऐश्वर्य एवं धन की प्राप्ति होती है. इस दिन नए वस्तुओं की खरीदारी करनी चाहिए और माता वैभव लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.