रांची:- झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से इधर-उधर की बातें छोड़़ कर यह बताने का आग्रह किया है कि आखिर देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेहताशा बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है. पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि होने से पूरे देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गयी और आम लोग महंगाई से त्रस्त है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने बताया कि केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को यह बताना चाहिए कि तमाम वैश्विक परिस्थितियों के अनुकूल रहने के बावजूद वर्ष 2014 की जगह वर्ष 2021 में पेट्रोलियम पदार्थां की कीमतों में 820 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी क्यों हुई. कोरोना काल में जब क्रूड आयल की कीमत 10 रुपये प्रति बैरल आ गयी और अभी 50 रुपये प्रति बैरल है, इसके बावजूद आम लोगों इसका लाभ क्यों नहीं मिला. आज पेट्रोल की कीमत 93 रुपये प्रति लीटर तक जा पहुंची है और डीजल की कीमत भी पेट्रोल के निकट आ पहुंची है, जबकि किसानों को अपने खेतों में सिंचाई की व्यवस्था के लिए सबसे अधिक डीजल की आवश्यकता होती है, केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये तीन काले कानून से किसान पहले से ही परेशान है और डीजल की कीमत में बढ़ोत्तरी ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि धर्मेन्द्र प्रधान के ही कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में लगातार वृद्धि कर कोरोना संक्रमणकाल में भी 16 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में जनता से वसूले गये, लेकिन इसका फायदा न तो गरीबों को मिला और न ही आम लोगों ही मिलेगा. एक ओर कोरोना-संक्रमण काल में लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया, वहीं उत्पाद शुल्क में बढ़ने से महंगाई में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई, जिसके कारण देशभर के विभिन्न हिस्सों में हजारों लोगों ने कोरोना संक्रमण काल में खुदकुशी कर अपनी जान दे दी.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि धर्मेन्द्र प्रधान आज बोकारो स्टील प्लांट की बात कर रहे है, लेकिन देश की जनता यह भी देख रही है कि किस तरह से भाजपा शासनकाल में एक-एक कर केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बेचा जा रहा है. वे आयुष्मान योजना की बात कर रहे है, लेकिन हकीकत यह है कि आज देशभर में कहीं भी आयुष्मान कार्ड के माध्यम से गरीबों को लाभ नहीं मिल रहा है, यह सिर्फ एक रद्दी का कागज बनकर रह गया है.