अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनने जा रहा है. जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी में रामायण पर आधारित डिजिटल डायरी बनेगी. इस डिजिटल डायरी में चार गैलरी होंगी. सभी गैलरी में भगवान श्रीराम ने अपने जीवनकाल में जिन स्थानों का भ्रमण किया है, उन सभी स्थलों का उसमें समावेश किया जाएगा. साथ ही भगवान श्रीराम के जीवन लीलाओं से संबंधित संपूर्ण वृत्तांत वर्णित होंगे. इस मसले पर माननीयों समेत प्रशासनिक अमले ने बैठक में अपनी मुहर लगा दी है. हालांकि डिजिटल डायरी को तैयार करने में साधु-संतों से भी मशवरा किया जाएगा.
पिछले पांच अगस्त को पीएम के हाथों मंदिर का नींव पूजन भी हो चुका है. अब रामजन्मभूमि पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण की कवायदें शुरू हो गई हैं. मंदिर निर्माण के लिए दानवीरों ने अपने खजाने खोल दिए हैं. सोने-चांदी की ईंटों के साथ ही ताम्र पट्टियां भी आनी शुरू हो गई हैं. इन सब कवायदों के बीच प्रशासन ने भगवान श्रीराम के जीवनकाल की लीलाओं पर डिजिटल गैलरी बनाने का फैसला लिया.
मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल बताते हैं कि अयोध्या में रामायण पर आधारित डिजिटल गैलरी बनाई जाएगी. चार गैलरी में विकसित इस डिजिटल डायरी में भगवान श्री राम के जीवन लीलाओं से संबंधित संपूर्ण वृत्तांत होंगे. वह कहते हैं कि श्री राम के जीवन पर आधारित इस गैलरी में उन स्थानों का भी समावेश किया जाएगा, जहां पर श्रीराम ने अपने जीवनकाल में भ्रमण किया. मसलन, प्रयागराज, चित्रकूट आदि स्थान शामिल हैं.
अयोध्या सांसद लल्लू सिंह कहते हैं कि रामनगरी में रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं और राम दरबार में माथा टेकते हैं. पर्यटकों को भगवान श्रीराम के जीवनकाल से जुड़ी सभी जानकारियां देने में यह गैलरी अहम रोल निभाएगी. उनका कहना है कि डिजिटल गैलरी तैयार करने से पहले साधु-संतों के विचार भी लिया जाना है. ये गैलरी पूर्णरूप से अयोध्या के भगवान श्री राम के चरित्र पर आधारित हो. बैठक में दशरथ महल के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा कि अयोध्या की यह डिजिटल गैलरी श्री राम के पूरे जीवन के चरित्र की होनी चाहिए.
डायरी तैयार करने को शोधकर्ता समिति भी
भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी डायरी तैयार करने को नोडल विभाग व शासन स्तर पर तथा रामायण के विद्वानों एवं शोधकर्ताओं की समिति बनाई जाएगी. जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के मुताबिक समिति द्वारा बनाए गए विषयों का स्थानीय संत समाज के प्रमुख विद्वान परीक्षण करेंगे, तब इसको अंतिम रूप दिया जाएगा.