रांची: शहर के इलाके में कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव मामले की बढती संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए वामदलों एव सामाजिक संगठनों ने सरकार से लोगों की स्क्रीनिंग व स्वाब टेस्ट की संख्या और इसका दायरा बढ़ाने की मांग की है. रांची का एक क्षेत्र कोरोना का हॉट स्पॉट घोषित होने से स्वाभाविक है कि संसाधनों जिसमें जांच किट और प्रशिक्षित पारा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी के चलते स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रशासन का ध्यान उस विशेष क्षेत्र में ही केंद्रीत हो लेकिन इसमें और ट्रांसपेरेंसी लाये जाने की जरूरत है क्योंकि मीडिया के एक हिस्से के द्वारा पत्रकारिता के सभी एथिक्स और सरकारी एडवायजरी को ताक पर रखकर उस क्षेत्र और समुदाय विशेष को निशाना बनाने का गैर जिम्मेदाराना काम कर रही है जबकि इस इलाके में मिश्रित आबादी है यहां आदिवासी, दलित अन्य पिछड़ा वर्ग में बढ़ई, मल्लाह के अलावा ईसाई आबादी भी रहती है.
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वामदल प्रशासन से यह अपील करते हैं कि उनके पास लॉकडाउन के पहले तक फ्लाइट से रांची आने वाले यात्रियों का जो ट्रैवल हिस्ट्री है, उसे खंगालने के काम की गति बढायें. शहर के कई हिस्सों में विदेश यात्रा से आए हुऐ लोग अपने घर अपार्टमेंट में रुके हुए हैं इनमे से अधिकांश लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी नहीं हुई है. झारखंड में संक्रमण का पॉजिटिव मामला बहुत देर से मिला है. यहां कुछ लोग दावा भी कर रहे थे कि झारखंड में कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं है.
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अभी प्रशासन को उस इलाके में जहां पॉजिटिव मामले ज्यादा मिलें हैं वहां बहुत ही धैर्य के साथ राहत कार्य संगठित करने की जरूरत है क्योंकि वहां के लोगों में भय पैदा हो गया है. यह भी सच्चाई है की वहां के बहुत से निवासियों को विशेष कर अत्यंत गरीब तबके के लोगों को अनाज समेत दुसरी जरुरी चीजें नहीं मिल पा रही है. हालांकि जिला प्रशासन ने उस इलाके में एक अलग से कंट्रोल रूम बनाया है लेकिन लगता है कि बेहतर समन्वय नही हो पा रहा है इसलिए वहां सील्ड लॉकडाउन के बावजूद रोज कोई न कोई समस्या पैदा हो जाती है और सोशल मीडिया एवं कुछ गैर जिम्मेदार संवाद माध्यमों जिनमें कुछ अखबार और टीवी चैनल शामिल हैं वातावरण को विषाक्त बनाने के काम में लग जाते हैं जिससे कई तरह की समस्या भी खड़ी हो जा रही है.
वामदलों का मानना है कि वर्तमान समय में पुलिस कर्मियों पर काम का भारी दबाव भी है लेकिन यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती भी है कि वे किस प्रकार मामलों को धैर्य के साथ निपटाते हैं.
राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा और इसके कुछ नेताओं की भूमिका भी गैर जिम्मेदाराना है. क्योंकि संघ पोषित आईटी सेल के नफरत भरे दूष्प्रचार पर अंकुश लगाने के लिए जब राज्य के पुलिस महानिर्देशक ने कानून सम्मत ठोस कार्रवाई शुरू की तो भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता डीजीपी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे. उन्हें प्रधानमंत्री का यह संदेश भी याद नहीं रहा कि कोरोना महामारी से सबको मिल कर लड़ना है और देश की जनता भारी परेशानियों का सामना करते हुए यह काम बखूबी कर रही है, लेकिन झारखंड में भाजपा के कुछ नेता केवल बयानबाजी कर इस संकट के समय प्रशासनिक कार्यों में बाधा पहुंचाने का ही काम कर रहे हैं. बाबुलाल मरांडी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का राज्यपाल को सौंपा गया पत्र केवल वाह-वाही लूटने का हथकंडा है और प्रशासन के काम में मदद करने की बजाए उसे हतोत्साहित किए जाने की साजिश है. उसी तरह झारखंड के दो सांसद लाक डाउन की धज्जियां उड़ाते हुए संडक मार्ग से दिल्ली से झारखंड पहुंच गए और उनमे से एक तो बिना क्वॉरेंटाइन हुए जिले के आला अधिकारियों से मिल रहे हैं.
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वामदलों ने मुख्यमंत्री द्वारा बुलायी गयी बैठक में कुछ ठोस सुझाव दिया था जिसमें इस आपदा से निपटने के लिए केवल प्रशासन के भरोसे न रहकर राहत के काम मे समन्वय के लिए प्रखंड स्तर तक सर्वदलीय कमिटी बनाने और इसमें जन संगठनों सामाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों को जोड़ कर निर्वाचित जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक तंत्र के साथ तालमेल कर हर प्रकार के कार्य को संचालित किया जाय लेकिन इस दिशा में अभी तक कुछ नहीं किया गया है. इसलिए वामदलों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि इस विपदा से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन को केरल सरकार की तर्ज पर व्यापक समन्वय बनाने के लिए गंभीर रूप से प्रयास करना चाहिए.
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