ज्योत्सना,
खूंटी: यह हैं दिव्यांग दंपत्ति अनिता और दिव्यांग भाकू आईन्द. यह रहनेवाले हैं खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के टाटी टुराटोली गांव के. पति पत्नी दोनों दिव्यांग हैं बावजूद ये आस पास के लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. आज शहरी क्षेत्रों में कई लोग मिल जाएंगे जो हाथ-पांव या शरीर के सभी अंग स्वस्थ होने के बावजूद भीख मांगकर गुजारा करते हैं. लेकिन तोरपा के ये दम्पति विकलांग होने के बावजूद मेहनत कर अपने पसीने की कमाई खाते हैं. साग सब्जी का उत्पादन कर सरकार द्वारा मिले ट्राईसाइकिल से तोरपा बाजार में सब्जी बेचते हैं.
दिव्यांग भाकू आईन्द और पत्नी अनिता आईन्द दोनों आस पास के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. सड़क के किनारे घर और आम बागवानी बरबस ही राहगीरों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस साल आम के पौधों में मंजर आएंगे और लगभग 60-70 हजार रुपये तक आमदनी होगी. बगैर किसी सरकारी सहयोग के इन्होंने एक दर्जन से ज्यादा बकरी पालन भी किया है. साथ ही अपने ही खेतों में साग सब्जी का उत्पादन कर अच्छी खासी कमाई भी कर लेते हैं. दिव्यांगता कभी इनके जीवन में आड़े नहीं आयी.
खेतो में कुदाल चलाने से लेकर सब्जी उत्पादन, खर-पतवार की निकाई, कोड़ाई करना और बाजार तक पहुंचकर सब्जी बेचना इनकी रूटीन में शामिल हो गया है, दिव्यांग भाकू आईन्द ने बताया कि केंद्र सरकार की मनरेगा योजना और राज्य सरकार की आम बागवानी मिशन इनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने में काफी मददगार साबित हुआ है,
मनरेगा के तहत एक लाख इक्कीस हजार एक सौ उनचालीस रुपये की लागत से आम बागवानी का कार्य आरंभ किया और 375 मानव दिवस का सृजन कर दिव्यांग दम्पति ने मनरेगा के तहत अपनी हिस्से की मजदूरी का कार्य भी पूर्ण किया. मनरेगा के तहत बने जॉब कार्ड से अपने हिस्से की मजदूरी कर साठ हजार रुपये की मजदूरी भी कमायी. आज ये दिव्यांग भाकू आईन्द और पत्नी अनिता आईन्द लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं.