Pramod
हज़ारीबाग: सदर अस्पताल में मरीज के नीचे सो रहे है कुत्ते। किंतने आराम से चैन की नींद सो रहे ये कुते को कोई भी सदर अस्पताल के कर्मचारी व स्टाफ की नज़र नही पड़ रही है इस तरह की लापरवाही इतनी बड़ी सरकारी अस्पताल में देखने को मिल रहा हैं।जहाँ पर सरकारी कर्मचारीयों के होते हुए भी इस प्रकार की लापरवाही देखने को मिल सकता है तो वो मरीजों का कंहा से ध्यान रख पायेंगे।कुत्ते के इस तरह से मरीज के वार्ड में होना कई तरह की बिमारियों को बढ़ावा देना हैं । इस प्रकार की सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही देखने से यह बात दर्शाती है कि यह सभी कर्मचारि केवल सरकारी पेमेंट के लिए ही काम करते हैं उन्हें मरीजों से या अस्पतालों से कोई मतलब ही नहीं है और ये कोई नयी बात नहीं है ये बहुत समय से ऐसे चलते आ रहा हैं । कुछ दिन पहले ही सदर अस्पताल के बाहर में यह भी देखने को मिला था कि एक आदमी जख्मी हालत में पड़ा रहा उसकी हालत बहुत ही दैनीय थी परन्तू उसे सही इलाज ना मिलने का कारण उसने अपनी दम तोड़ दी थी। इस तरह की लापरवाही को देखते हुए संदेश देती है कि सरकार सदर अस्पताल के सरकारी कर्मचारियों को पेमेंट दिया जाता है पर सरकारी करमचारी अपने मरीजों की देखभाल सही से नहीं कर पाते ना हीं सही से अपना दायित्व को नहीं निभा पाते हैं पिछले कुछ दिनों में इस तरह की घटना कई बार देखा गया है पर नाही सदर अस्पताल के बारे में ना कर्मचारियों का ध्यान है और ना ही सफाई कर्मियों का और ना ही स्टाफ का । सरकार आंख मूंद के सरकारी सदर अस्पतालों के कर्मचारियों को पैसा देती है यही वजह है कि सरकारी अस्पताल का स्टाफ व डॉक्टर और भी लापरवाही दिखाने में माहिर हैं। जिसकी वजह से आम लोगों को बहुत से कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं।