कुमार राजन,
रांची: प्राचीन काल से ही दहेज प्रणाली हमारे समाज के साथ-साथ विश्व के कई अन्य समाजों में भी प्रचलित है. यह बेटियों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में मदद करने के रूप में शुरू हुई थी. ताकि वे विवाह के बाद नए स्थान पर नए तरीके से अपना जीवन शुरू कर पायें. आज पिता की संपत्ति पर बेटियों का कानूनन अधिकार है. शायद यह सोच पहले भी रही हो और विवाद से बचने के लिए बेटियों को एकमुश्त राशि देने की प्रचलन प्रारंभ हुई हो. जो भी हो आदिकाल में यह स्वैच्छिक था।.
शोषण के रूप में बदल जाना
समय बीतने के साथ यह महिलाओं की मदद करने वाली प्रथा के बजाए एक घृणित प्रथा में बदल गई. भौतिकता में वृद्धि के साथ यह भारतीय समाज की सबसे जघन्य सामाजिक प्रणालियों में से एक बन गई. इसने कई तरह के मुद्दों जैसे कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में वित्तीय समस्याएं, पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग, बहू का भावनात्मक और शारीरिक शोषण सहित दहेज हत्या को जन्म दिया.
कानून का लचर क्रियान्वयन
इस समस्या को रोकने के लिए दंडनीय अधिनियम बनाए गए हैं. कानून के अनुसार दहेज मांगना या देना दोनों अपराध है परंतु स्थिति कुछ और है. लगातार सुधारों के बावजूद आज भी अधिकतर अभिभावक दहेज देने के लिए बाध्य हैं. वे बेटी के जन्म के साथ ही बचत प्रारंभ कर देते हैं. इस क्रम में वे अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से भी समझौता करते हैं तथा अक्सर अपने जीवन स्तर को कम करते हैं. कई लोग बैंक ऋण के चक्कर में फंसकर अपना पूरा जीवन इसे चुकाने में खर्च कर देते हैं. कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक शानो शौकत दिखावा और प्रतियोगिता का विषय बन गया है. वह भी फिजूल खर्च कर समाज में एक गलत उदाहरण पेश कर रहे हैं.
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दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के माध्यम से दहेज देने और लेने की निगरानी करने के लिए एक व्यवस्था लागू की गई है. इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेन-देन की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता है. सजा में कम से कम 5 वर्ष का कारावास और 15,000 रुपये का न्यूनतम जुर्माना या दहेज की राशि के आधार पर शामिल है. दहेज की मांग दंडनीय है. दहेज की कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मांग करने पर भी 6 महीने का कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.
कोरोना और दहेज
कोरोना ने लोगों की आर्थिक स्थिति बेहाल कर दी है. संभावना है कि जब शादी विवाह का मौसम प्रारंभ हो वर पक्ष अपने इस कमी की भरपाई वधू पक्ष से अतिरिक्त मांगकर कर सकते हैं. इस प्रकार कोरोना की वधू पक्ष पर दोहरी मार पड़ेगी और समस्या और ज्यादा जटिल हो जाएगी.