रांची: विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने सोमवार को विधानसभा में कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाया. उन्होंने कार्य स्थगन के माध्यम से सदन का ध्यान कुरमी-कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की ओर आकृष्ट कराया.
उन्होंने अपने कार्य स्थगन प्रस्ताव में कहा है कि संपूर्ण झारखंड में निवास करने वाले टोटेमिक (गुष्टिधारी) कुरमी- कुड़मी (महतो) मूलतः द्रविड़ प्रजाति के अनुसूचित जनजाति समुदाय के हैं. इनकी अपनी स्वायत मातृभाषा कुरमाली (कुड़मालि) है. ये प्रकृतिपूजक और कृषि पेशा के लोग हैं. इनके सामाजिक जीवन में कोई ऊंच-नीच और भेदभाव एवं वर्णवाद भी नहीं है.
उन्होंने कहा है कि एच एल रिजले के ट्राईबल एंड कास्ट ऑफ बंगाल एवं ग्रियर्सन के लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में भी इस समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति समुदाय की भांति द्रविड़ प्रजाति का माना है.
2 मई 2013 के गृह विभाग की अधिसूचना जो भारत सरकार के गजट में 3 मई 2013 को क्रमांक 18 शिमला में प्रकाशित किया गया था, इसमें कुरमी-कुड़मी को अनुसूचित जनजाति समुदाय में रखा गया था. साथ ही बिहार एवं उड़ीसा सरकार न्यायिक विभाग द्वारा 8 दिसंबर 1931 को जारी अधिसूचना में कुरमी-कुड़मी को अनुसूचित जनजाति माना है.
इसी प्रकार 23 नवंबर 2004 को झारखंड मंत्रिपरिषद की बैठक में भी कुरमी-कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने का निर्णय लिया गया है.
राज्य सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग द्वारा भी 6 दिसंबर 2012 को भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को छोटानागपुर के कुरमी-कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई है.
डॉ. लंबोदर महतो ने कहा कि इस मामले को झारखंड के कई विधायकों द्वारा सदन में कई बार उठाया भी गया है. लेकिन राज्य सरकार के द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने विधानसभा में इस विषय पर राज्य के वंचित समुदाय के हितों की रक्षा एवं वर्षों से लंबित इस पुरानी मांग को पूरा करने के लिए सदन में सभी कार्य को रोक कर इस पर चर्चा कराने की मांग की है.