दुमका : भारतीय जनता पार्टी की नेता और झारखंड की पूर्व समाज कल्याण मंत्री डाक्टर लुईस मरांडी ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार पर अपनी कर्मभूमि दुमका जिले की जीर्ण होती सड़कों का मरम्मत कराने के मामले में उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार की उपेक्षा पूर्ण रवैये की वजह इस जिले की मुख्य पथों की हालत दयनीय और खास्ता हो गयी है.
डाक्टर मरांडी ने गुरुवार को जारी एक पत्र में कहा कि कुछ मुख्य हेमंत सोरेन चुनाव जीतने के लिए और दुमका को अपनी कर्मभूमि होने का दावा को इस क्षेत्र की जनता को दिग्भ्रमित करते हैं. दुमका को यदि सही में अपनी कर्म भूमि मानते तो दुमका से त्याग पत्र देकर जनता के जनादेश का अपमान नहीं करते.
उन्होंने कहा कि दुमका सीट से त्याग पत्र देने के बाद से राज्य सरकार द्वारा सड़क सहित विकास के मामले में इस जिले की उपेक्षा की की जा रही है. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि माह पूर्व तक इस जिले की बेहतर सड़कें यहां की पहचान थी और बिहार-बंगाल सहित अन्य राज्यों से आनेजाने वाले लोगों को यहां की बेहतर सड़क पर कष्ट रहित यात्रा कर सुखद अनुभूति होती थी और लोग सरकार और प्रशासन के बेहतर यातायात व्यवस्था की सराहना करते थे.
लेकिन पिछले कुछ महीनों में राज्य सरकार और पथ निर्माण विभाग की लापरवाही और अदूरदर्शिता कारण मुख्यमंत्री का कर्मभूमि समझा जाने वाले दुमका जिले की एक के बाद एक सड़के खराब होती जा रही हैं. दुमका-भागलपुर मुख्य पथ पर भूरभूरी नदी पर पुल क्षतिग्रस्त होने जाने से पिछले कई महीने इस पथ पर आवागमन बंद कर दिया गया है लेकिन लोगों को हो रही असुविधा को दूर करने के लिए अभी तक डायवर्सन तक नहीं बनाया जा सका है और क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मति तथा निर्माण की दिशा में अभी तक किसी तरह की पहल नहीं की गयी है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
जिले की खास्ताहाल सड़कों की वजह आम जनता त्रस्त है. दुमका भागलपुर मुख्य पथ पर भूरभूरी पुल को बंद किये जाने से कुछ दिनों तक दुमका गुहियाजोरी-रामगढ़ पर से वाहनों के आवागमन की व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन इस पथ पर वाहनों का दबाव बढ़ जाने से यह भी बदहाल हो गया और बड़े गड्ढे में तब्दील हो गया जिस पर जिस पर वाहन तो लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है.
उन्होंने कहा कि खास्ताहाल सड़कों की मरम्मत कराने की दिशा में पहल करने की वजाय शासन प्रशासन ने बैरियर लगाकर वाहनों का परिचालन बंद कराकर अपनी विफलता को छिपाने में लगी है. उन्होंने कहा कि भूरभूरी पुल के नही बनने तथा वाहनों का दवाब बढ़ने की वजह से नेशनल हाईवे 114 ए पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. दुमका देवघर मार्ग पर बासुकीनाथ वायपास के तौर पर उपयोग में आने वाली सरडीहा-नोनीहाट सड़क भी अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.
इसी क्रम में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि,
दुमका को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बताने वाले हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनकर इस सीट से त्याग पत्र देकर यह दर्शा दिया है कि वे सिर्फ चुनाव के लिए दुमका को अपनी कर्मभूमि मानते हैं. जनसेवा सेवा के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि उनको इस जिले की जनता के दुख-दर्द और तकलीफ का अहसास हुआ होता तो आज दुमका की सड़कों इतनी भयावह और बदतर स्थिति नहीं होती.