चंडीगढ़ : पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने अपने गठन के 11 महीने में ही हरियाणा की राजनीति में अपनी पैठ बना ली है. जजपा ने दस सीटों पर जीत दर्ज की है । जजपा के सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने जींद जिले के उचाना कलां क्षेत्र से भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की विधायक पत्नी प्रेमलता को भरी मतों से मात दे कर धमाका कर दिया है.
मतगणना के दौरान एक समय सत्ता की चाबी जजपा के हाथ में नजर आ रही थी. जजपा 14 सीटों पर आगे चल रही थी और भाजपा और कांग्रेस के बहुमत हासिल करने के आसार नहीं थे. भाजपा और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जजपा का समर्थन हासिल करना जरूरी था. ऐसे में माना जा रहा था कि अगर दुष्यंत चौटाला को मुख्यमंत्री का पद दे दिया जाये तो उनकी पार्टी भाजपा या कांग्रेस में किसी के भी समर्थन करने को तैयार हो सकती है. लेकिन अंतिम परिणाम आते-आते तस्वीर बदल गई.
भाजपा 40 सीटें जीत गई है और बहुमत के लिए उसे सिर्फ छह सीटों की जरूरत है, जबकि आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर जीत कर आठ विधायक विधानसभा में पहुंचे हैं. चूंकि, केंद्र में भाजपा की सरकार है, इसलिए ज्यादातर आज़ाद विधायकों का समर्थन भाजपा को मिलने के आसार हैं. ऐसे में भाजपा के सामने जजपा की मुख्यमंत्री का पद देने की शर्त मानने की कोई जरूरत नहीं है.
यहां यह उल्लेखनीय है कि दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई दिग्विजय सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने 11 महीने पहले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से निकाल दिया था. आरोप था कि गोहाना रैली में दुष्यंत समर्थकों ने विपक्ष के नेता रहे अभय सिंह चौटाला के भाषण के दौरान हूटिंग की थी.
इनेलो सुप्रीमो चौटाला ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए पहले दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकाला और फिर उनके पिता अजय सिंह चौटाला को भी इनेलो से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अजय सिंह इन दिनों अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला के साथ शिक्षक भर्ती घोटाले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में दस साल की सजा काट रहे हैं.
इनेलो से बाहर किये जाने के बाद दुष्यंत ने जजपा का गठन किया और अपने बलबूते राज्य में अपनी पार्टी खड़ी कर ली. विधानसभा चुनावों में उन्होंने राज्य की सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये और 10 सीटें जीतने में कामयाब रहे.