रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए सभी को शिक्षा की दिशा में प्रयास करना होगा. एक अच्छी तरह से शिक्षित आबादी, पर्याप्त रूप से ज्ञान और कौशल से लैस न केवल आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए आवश्यक है, बल्कि विकास के लिए एक पूर्व शर्त भी समावेशी होनी चाहिए, क्योंकि यह शिक्षित और कुशल लोग हैं, जो रोजगार के अवसरों से सबसे अधिक लाभ उठाने के लिए खड़े हैं, जो विकास प्रदान करता है. राज्यपाल आज एस्सोचैम द्वारा आयोजित स्कील एंड वोकेशनल ट्रेनिंग अवॉर्ड कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रही थी.
राज्यपाल कौशल और ज्ञान किसी भी देश के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास की प्रेरक शक्ति हैं. उच्च और बेहतर कौशल वाले देश काम की दुनिया की चुनौतियों और अवसरों को अधिक प्रभावी ढ़ंग से समायोजित करते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जहां काम करने की उम्र की आबादी उन पर निर्भर लोगों की संख्या से अधिक होगी और विश्व बैंक के अनुसार, यह 2040 तक कम से कम तीन दशकों तक जारी रहेगा. इसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण शक्ति के एक संभावित स्रोत के रूप में मान्यता दी गई है, बशर्ते हम कार्यशील आयु वर्ग में जनसंख्या के कौशल को सुसज्जित और निरंतर उन्नत करने में सक्षम हों.
राज्यपाल ने कहा कि स्कील एंड वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे कार्यक्रम से लोगों में प्रतियोगितात्मक भावना विकसित होती है और उनमें निहित कला-हूनर और प्रखर होती है. उन्होंने कहा कि यहां के लोग हूनरमंद हैं, वे मशीनरी काम, हस्तकरघा, अगरबत्ती निर्माण, बांस आधारित उद्योग, फूड प्रोडक्ट आदि विभिन्न क्षेत्रों में निपुण हैं, आवश्यक है सिर्फ उन्हें और प्रोत्साहित करने की.
उन्होंने कहा कि भारत की नवीनतम जनगणना के अनुसार, वर्ष 2022 तक, 10 करोड़ नए श्रमिकों का एक अनुमान श्रम बाजार में प्रवेष करेगा और कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, जबकि मौजूदा कार्यबल के लगभग 30 करोड़ श्रमिकों को उसी समय अवधि में अतिरिक्त कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी. यह देश की औद्योगिक और आर्थिक वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. सरकार इस दिशा में प्रयासरत हैं.
राज्यपाल ने कहा कि स्कील इंडिया भारतीय युवाओं की प्रतिभाओं को विकसित करता है, ताकि उन्हें रोजगार प्राप्त हो सकें. इसके तहत शहरों एवं ग्रामों, सभी को प्रशिक्षण देने के लिए लक्ष्य रखा गया है, ताकि हमारा आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकें और देश दूसरे को निर्यात करें. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न योजनाओं के प्रस्ताव रखे गए है.
उन्होंने कहा कि मजदूरों को प्रशिक्षित करने और उनके कौशल के अनुसार उन्हें रोजगार प्रदान करने के लिए कौशल विकास की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. सर्वेक्षण के अनुसार, कई कंपनियां अब ऐसे व्यक्तियों की तलाश में हैं, जिनके पास न केवल शैक्षणिक योग्यता है, बल्कि कौशल और अनुभव भी है जो उन्हें काम करने के लिए तैयार रखता हैं.
राज्यपाल ने वैश्विक कोविड-19 महामारी से लोगों के रोजगार एवं जीवनयापन पर प्रभाव पड़ा है. न केवल जोखिम में लाखों लोगों स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है, बल्कि उनकी दीर्घकालिक आजीविका पर भी असर हुआ है. सरकार युद्धस्तर पर प्रयासरत हैं, विभिन्न जन-कल्याणकारी नीतियाँ चलाई जा रही हैं.