कोलकाता: चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक नियुक्तियों पर अस्थायी रोक लगा दी है. साथ ही नगर निकायों में प्रशासक कार्यालयों में नियुक्त राजनेताओं को बोर्ड बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल होने से भी रोक दिया है. सोमवार को चुनाव आयोग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों होने के चलते आचार संहिता लागू है, ऐसे में आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ये आदेश जारी किया है.
चुनाव आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक नियुक्तियों पर आचार संहिता लागू रहने तक अस्थायी रोक रहेगी. साथ ही पश्चिम बंगाल में नगर निकायों में प्रशासक कार्यालयों में नियुक्त राजनेताओं को बोर्ड बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल होने पर भी रोक है. आयोग ने अपने निर्देशों में कहा है कि प्रदेश में आचार संहिता लागू है, ऐसे में राजनीतिक रूप से नियुक्ति पाए लोगों के बोर्ड के कार्यकलापों में हिस्सा लेने और प्रशासनिक जिम्मेदारी के निर्वाह पर रोक लगाई जाती है. चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी का भी गठन किया है जो नगर निगमों में प्रशासकों और प्रशासकों के बोर्ड में प्रमुख के दायित्व को निभाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करेंगे.
पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री, तृणमूल कांग्रेस नेता फरहाद हकीम ने कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के प्रशासक पद से इस्तीफा दे दिया है. फिरहाद ने केएमसी के सचिव खलील अहमद को अपना त्यागपत्र सौंपा. केएमसी के प्रशासक बोर्ड में शामिल अतीन घोष और देवाशीष कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया है. चनाव आयोग के नगर निकायों के प्रशासक पदों से राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को हटाने के निर्देश के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में इस समय विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल में 27 मार्च को से 29 अप्रैल तक आठ चरणों में चुनाव होना है. इसके बाद दो मई को नतीजों का ऐलान किया जाएगा. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने भारी बहुमत हासिल किया था. वहीं इस चुनाव में टीएमसी, भाजपा और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन में मुख्य मुकाबला माना जा रहा है.