गिरिडीह: इंसानों की हत्या पर सीमा क्षेत्र के विवाद में दो थानों की पुलिस के एक-दूसरे के पाले में गेंद डालने की खबर सुनी होगी. यहां मामला इंसानों का नहीं जंगली हाथी की मौत का है. गिरिडीह एवं धनबाद का वन विभाग सीमा विवाद में उलझा है. जो आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं. हाथी की मौत के लिए जिम्मेवार 70 दिन बाद भी चैन की बंशी बजा रहे हैं. बेजुबान हाथी तो साथी की मौत की लड़ाई लड़ नहीं सकते. जिनका फर्ज है वे कन्नी काट रहे हैं.
डुमरी के गुलीडांडी मैदान में 30 नवंबर की शाम एक हाथी आया और गिर पड़ा. उसकी जान चली गई. जंगली सुअर या अन्य छोटे जानवरों को मारने का यंत्र (मशीन) उसकी सूंड़ में फंसा था. इससे मुंह दबने से हाथी भोजन, पानी व सांस नहीं ले पा रहा था. पोस्टमार्टम के बाद शव को दफना दिया गया. अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो गई. इसके बाद शुरू हुआ अनुसंधान को दफन करने का काम. सुअर मारने की मशीन वहां किसने लगाई, यह पता लगाकर कार्रवाई करने की जगह गिरिडीह वन प्रमंडल और धनबाद वन प्रमंडल के अधिकारी दामन बचाने लगे. हमारे नहीं दूसरे के क्षेत्र में मशीन फंसी, इस पर अड़ गए. किसी को भी हाथी की मौत के लिए जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सका.
जंगली जानवर के शिकार के लिए गिरिडीह के गावां जंगल में 10 जनवरी को जाल लगाया गया. लोहे के जाल में एक तेंदुआ फंसकर मर गया. एक ग्रामीण गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. सूत्रों ने बताया कि सुअर व अन्य छोटे जंगली जानवरों के शिकार के लिए ग्रामीण और शिकारी युवक ऐसे जाल लगाते हैं. ताकि उनका मांस बेच सकें. गिरिडीह पूर्वी वन क्षेत्र के डीएफओ प्रवेश अग्रवाल कहते हैं कि हाथी, तेंदुआ, जंगली सुअर या अन्य जंगली जानवर मारना अपराध है. वन्य जीवन अधिनियम 1972 के तहत पांच साल का कारावास एवं जुर्माना हो सकता है. ग्रामीणों को ऐसे उपकरण जंगल में न लगाने को जागरूक कर रहे हैं. जंगलों में ऐसा उपकरण लगाना अपराध है. हाथी की मौत जिस स्थान पर हुई वही घटनास्थल होगा. गिरिडीह प्रमंडल को अनुसंधान करना होगा.
सुअर पकड़ने की मशीन गिरिडीह प्रमंडल क्षेत्र में नहीं लगाई गई. यह धनबाद के टुंडी जंंगल में लगाई गई सूंड़ फंसने के बाद ग्रामीणों ने हाथी को खदेड़ा. वह डुमरी पहुंचा और मर गया. हाथी भोजन, पानी व सांस नहीं ले सका. पेट में न अन्न था, न पानी.
सुअर पकड़ने की मशीन धनबाद के जंगलों में नहीं लगाई गई. हाथी कहां हैं, इसकी रोज रिपोर्ट डीएफओ को देते हैं. यह घटना गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ की है. डुमरी के वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी अनावश्यक टुंडी एवं धनबाद का नाम उछाल रहे हैं.