नयी दिल्लीः भारत की मिट्टी में सोना है और यही वजह है कि भारत पर हमेशा विदेशियो की नजर गड़ी रहती थी . सोनभद्र में जिस प्रकार सोने का विशाल भंडार मिला है वह कोई आश्चर्य नहीं है इस देश के समृद्ध इतिहास में राजाओं ने कई गुप्त स्थानों पर अपने खजाने को सुरक्षित छुपा रखा है जो काल के अनुरूप सामने आ रहें है.
इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहें है कि सोनभद्र की तरह बिहार में भी है एक स्वर्ण भंडार, अंग्रेजों की तोप भी नहीं उड़ा पाई गुफा का दरवाजा.
जी हां, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में मिला सोने का भंडार अब पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है. लेकिन क्या आपको पता है कि बिहार में भी एक जगह सोने का भंडार है, लेकिन वहां से सोना निकालना लगभग नामुमकिन है.
दरअसल, वहां एक रहस्यमय दरवाजा है, जिसे आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है. कई बार इसे खोलने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी.
सोने का यह भंडार बिहार के राजगीर में एक गुफा के अंदर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें मगध साम्राज्य के सम्राट यानी मौर्य शासक बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छुपा है, जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है.
इसे ‘सोन भंडार’ के नाम से जाना जाता है. दरअसल, राजगीर प्राचीन समय में मगध की राजधानी था. यही पर भगवान बुद्ध ने बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। यह शहर भगवान बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है.
हालांकि कुछ लोग इस खजाने को पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते हैं, लेकिन वहां इस बात के प्रमाण ज्यादा हैं कि यह खजाना बिम्बिसार का ही है, क्योंकि इस गुफा से कुछ दूरी पर उस जेल के अवशेष हैं, जहां अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर रखा था.
सोन भंडार गुफा में प्रवेश करते ही पहले एक बड़ा सा कमरा आता है.कहते हैं कि यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था.
इसी कमरे की पिछली दीवार से खजाने तक पहुंचने का रास्ता बना हुआ है, जिसका द्वार एक पत्थर के दरवाजे से बंद किया हुआ है. इस दरवाजे को आज तक कोई नहीं खोल पाया है.
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा हुआ है जो आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. कहा जाता है कि इसमें ही खजाने के दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा हुआ है, लेकिन इस लिपि को पढ़ने में दुनियाभर के लोग नाकाम रहे हैं.
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बिम्बिसार के खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो सोन भंडार गुफा की दूसरी ओर पहुंचती है.
कहा जाता है कि अंग्रेजों ने एक बार तोप से खजाने के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाए. तोप के गोले के निशान आज भी दरवाजे पर मौजूद हैं.