दिल्ली: चालू वित्त वर्ष 2020-21 की लगातार तीसरी तिमाही में देश के भीतर रोजगार में गिरावट दर्ज की गयी है. थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अध्ययन के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रोजगार में 2.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है.
मार्च में शुरू हुए लॉकडाउन से वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रोजगार की स्थिति बहुत विकट रही. इस दौरान देश में रोजगार दर 18.4 प्रतिशत तक गिर गयी. फिर अर्थव्यवस्था को अनलॉक किए जाने के बाद हालत में थोड़ा सुधार देखा गया और रोजगार दर में गिरावट 2.6 प्रतिशत पर आ गयी.
देश में आर्थिक हालात दिनबदिन बेहतर होने की स्थिति में भी नौकरियों पर इसका असर उतना नहीं दिखा. सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास ने कहा कि सरकार का अनुमान था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. लेकिन बाजार में नौकरियों पर इसका असर नहीं दिख रहा. सरकार को उम्मीद है कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था और नहीं सिकुड़ेगी. पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर छमाही की तुलना में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश के रीयल जीडीपी में 15.7 प्रतिशत गिरावट देखी गयी थी.
वित्त वर्ष 2019-20 में देश में कुल रोजगार का 32 प्रतिशत शहरी इलाकों से था. चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर 2020 के अंत तक शहरी इलाकों में 34 प्रतिशत नौकरियां घटी हैं. इसी तरह देश के कुल वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी मात्र 11 प्रतिशत है, लेकिन उनके बीच 52 प्रतिशत नौकरियों की कमी आयी है.
ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स की नौकरियों के हालात भी ठीक नहीं है. देश के कुल वर्कफोर्स में 2019-20 के दौरान इनकी भागीदारी 13 प्रतिशत थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर अंत तक इनके बीच नौकरी जाने की दर 65 प्रतिशत है.
देश के कुल वर्कफोर्स में वेतनभोगी (सैलरीड) कर्मचारियों की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत है. लेकिन इस श्रेणी में रोजगार जाने की स्थिति भी विकट है. वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर तक 71 प्रतिशत की कमी आयी है.