खूंटी: जिले के अड़की प्रखंड का तेलंगाडीह गांव, जंगल पहाड़ों से घिरे तेलंगाडीह कॉलोनी में सिर्फ आदिम जनजाति बिरहोर के 18 परिवार रहते हैं. एक परिवार दूसरे गांव में रहता है. लंबे समय से चल रहे लॉकडाउन के बीच जब सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार और राशन वितरक बिरहोर कॉलोनी पहुंचे तो बिरहोरों ने लॉकडाउन की संकट की घड़ी में राहत की सांस ली. प्रत्येक परिवार को सरकार की ओर से मिलने वाला दो महीने का अनाज दिया गया.
अड़की प्रखंड के तेलंगाडीह में निवास करनेवाले लुप्तप्राय आदिम जनजातियों का पेशा रस्सी बनाना है. बहुत कम पढ़े लिखे बिरहोर सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं पर ही अब गुजर बसर करते हैं. सुदूरवर्ती सीमावर्ती और उग्रवाद प्रभावित इलाके होने के कारण बहुत कम सरकारी कर्मियों और जनप्रतिनिधियों का आना जाना होता है.
कोरोना को लेकर लंबे अंतराल से चल रहे लॉकडाउन के बीच कच्चा माल नहीं मिलने से इनका रस्सी बनाने का धंधा भी बंद सा हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीब कल्याण योजनाओं के तहत उज्ज्वला योजना, वृद्धा पेंशन और जन धन खाता में मिलने वाली रकम भेजी गई है, लेकिन जंगल पहाड़ और सुदूरवर्ती इलाका होने के कारण ये बैंक तक पहुंच पाने में असमर्थ हैं, जिसके कारण पैसे की निकासी नहीं कर पा रहे हैं. प्रखंड स्तरीय कर्मियों को सांसद प्रतिनिधि ने कहा है कि गांव में ही बैंक कर्मियों को लाकर पैसे की निकासी करायी जाये.
प्रत्येक माह मिलने वाला राशन इन्हें गांव तक पहुंचाकर सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार के माध्यम से दिया गया. लॉकडाउन के समय राशन के मिलने से सभी बिरहोर सरकार के प्रति आभार जता रहे थे. शिक्षा की कमी के कारण लुप्तप्राय बिरहोर समुदाय सिर्फ पुश्तैनी धंधा रस्सी बनाने पर ही निर्भर है.