निरज कुमार,
रांची: हरमू नदी के सौंदर्यीकरण में करीब 84 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इतने करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी हरमू नदी नाले से उपर नहीं उठ पाया. पहले भी नाला थी और आज भी नाला ही दिख रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि 84 करोड़ रुपये किस काम पर खर्च हुए हैं?
शिलान्यास के समय किये गये थे बड़े-बड़े दावे, हकीकत एकदम उलट
14 जनवरी 2015 को मुख्यमंत्री रघुवर दास, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह सहित मेयर और डिप्टी मेयर ने हरमू नदी सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास किया था. इस दौरान घोषणा की गयी थी कि नदी के किनारे छोटे-छोटे पार्क बनाये जायेंगे. नदी तट पर 2.5 मीटर चौड़ी पगडंडी बनायी जायेगी, जिस पर लोग टहल सकते हैं. नदी के मुहाने पर नेचुरल सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट बनाया जायेगा. इसके अलावा नदी में गंदा पानी न गिरे, इसके लिए नौ सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण किया जायेगा. नदी किनारे कुल 31 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जायेगा. नदी किनारे सात जल-मल शोध संयंत्र लगाये जायेंगे. किनारे पर सोलर लाइट लगायी जायेगी, ताकि लोग देर रात तक नदी किनारे बैठकर मनमोहक नजारे देख सकें.
करमसोकड़ा से शुरू हुआ था सौंदर्यीकरण का काम
हरमू विद्यानगर से कुछ ही दूरी करमसोकड़ा नाम की जगह है. यहीं से हरमू नदी के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ था. यहां पर पत्थरों और लोहे की जालियों से नदी के दोनों किनारों को बांधने का काम शुरू हुआ था.
अब तो पौधों के ठूंठ ही दिख रहे हैं
हरमू नदी सौंदर्यीकरण के तहत ईगल इंफ्रा द्वारा नदी किनारे 2400 पेड़ लगाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन, वास्तविकता इसके ठीक उलट है. केवल हरमू पुल के समीप ही थोड़ी हरियाली दिख रही है. वह भी इसलिए, क्योंकि यहां से दिन-रात वीवीआइपी मूवमेंट होता है. वहीं, नदी के शेष हिस्सों में केवल पेड़ों की ठूंठ बचे हुए हैं. शुरुआती दौर में कंपनी द्वारा नदी के किनारे-किनारे हरी-हरी घास भी लगायी गयी थी, लेकिन अब उसका भी नामोनिशान नहीं दिखता है.
सौंदर्यीकरण का कार्य जूडको को दिया गया था:
सौन्दर्यकरण का काम रांची नगर निगम ने जुडको कंपनी को दिया था. जिसमें करोड़ों का खर्च कर इसके अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया गया था. लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी, इसके अस्तित्व पर सवाल उठना खत्म नहीं हुआ.
नदी के आसपास मिट्टी का कटाव लगातार जारी है. जिससे आने वाले समय में अगर नहीं रोका गया तो कोई दुर्घटना अवश्य घट सकती है. मुक्तिधाम स्थित पुल के पास से भी मिट्टी का कटाव हो रहा है. मिट्टी का कटाव जारी रहा तो हरमू नाला भी बंद हो जायेगा.
गंदगी का अंबार:
यह तस्वीर हिंदपीढ़ी जाने वाले हरमू नदी के पुल की है. जहां नदी से बहकर आने वाले गंदगी जमा हो गई है. जो लोगों को नाक पर रुमाल रखने को मजबूर कर देती है. यहां पर भी मिट्टी का कटाव हो रहा है जिससे सभी बेखबर है. जहां-तहां सुअर और कुत्तें अठखेलियां करते दिख जायेंगे.
हाल ही में कुछ स्थानों पर नदी के किनारे के पेड़ों की कटाई छटाई की गई है लेकिन उसका उठाओ नहीं किया गया है और उसे वहीं पर छोड़ दिया गया है जिससे वह नाले में बह रही है जो जाम की स्थिति उत्पन्न कर सकती है.