हैदराबाद: सबकी जेब पर भारी पड़ रहा है प्याज. प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर लोग परेशान है. देशभर में प्याज की कीमत आसमान छू रही है. वहीं, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्याज की कीमतें 85 रुपये से 250 रुपये किलो के बीच हो गई हैं.
जबकि हैदराबाद में, ठेला विक्रेता इसे 85 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे हैं, दूसरी ओर सुपरमार्केट में प्याज की कीमत 135 रुपये से शुरू होकर 150 रुपये तक हैं. आंध्र प्रदेश में इस बीच कीमतें 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं.
हैदराबाद में ‘विष्णु थोक प्याज’ के मालिक विष्णु ने बताया कि पिछले 30 सालों में प्याज की यह कीमत सबसे अधिक है. विष्णु ने बताया कि मुझे याद है कि पहले प्याज की कीमतें अधिक से अधिक 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक थीं. इस साल बारिश की वजह से प्याज की फसल खराब हो गई और साथ ही देश में प्याज की कमी भी है.
व्यापारी ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी के बाद, अब हम महाराष्ट्र में किसानों से सीधे प्याज खरीद रहे हैं और बाजार में बेच रहे हैं. जबकि पहले किसानों को मुश्किल से प्याज पर चार से पांच रुपये प्रति किलो मिलता था, अब हम उन्हें 40 रुपये से लेकर 100 रुपये तक में मिलाने का प्रबंध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हालांकि, ये वे किसान हैं जिन्होंने प्याज को कोल्ड स्टोरेजों में रखा था, जिससे बेमौसम बारिश में इनकी फसल खराब नहीं हुई.
तेलुगु राज्यों में प्याज की खेती के प्रमुख क्षेत्र तेलंगाना में गडवाल और आंध्र प्रदेश में कुरनूल हैं. आंध्र प्रदेश में प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, राज्य सरकार अब 25 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर प्याज की आपूर्ति कर रही है, जिससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली है.
तेलंगाना में थोक प्याज बाजारों में प्याज 40 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है. राज्य की मार्केट वेबसाइट के अनुसार, दिसंबर के महीने में औसतन 55 क्विंटल प्याज गुड़िमल्कापुर बाजार में आया, जिसको 2000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा गया. हालांकि, महबूब मेंशन मार्केट में जहां 4000 क्विंटल प्याज रोजाना आता है, वहां एक क्विंटल प्याज को 11000 रुपये तक मिल रहा है.
इसका मतलब है कि गुड़िमल्कापुर में एक किसान अपने प्याज को औसतन 20-30 रुपये प्रति किलो में बेच सकता है, जबकि महबूब मेंशन में वह एक क्विंटल के लिए 100 रुपये तक की उच्च कीमत प्राप्त कर सकता है.
किसानों द्वारा प्राप्त की जाने वाली कीमतों से लगभग 400% ऊपर करके कम से कम चार से पांच बिचौलियों द्वारा आदान-प्रदान करने के बाद इन्हें खुदरा दुकानों में बेचा जाता है. जिससे कीमतें काफी हद तक बढ़ गई है.