NGT में मामले की सुनवाई के बीच वन विभाग के दो सदस्यीय जांच कमिटी का विस्फोटक रिपोर्ट
हजारीबाग : हज़ारीबाग़ जिले के बड़कागांव में एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए भारत सरकार द्वारा FOREST CLEARANCE स्टेज दो के शर्तों का उल्लंघन कर सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन किए जाने की सुनवाई एनजीटी कोलकाता में सुनवाई के बीच वन विभाग के दो सदस्यीय जांच कमिटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है। वन संरक्षक हजारीबाग के द्वारा बीते साल नवम्बर में दो सदस्यीय जांच कमिटी की रिपोर्ट फरवरी में दिया गया था। लेकिन उस रिपोर्ट को वन विभाग के अधिकारी दबा के बैठे रहे। अब जब एनजीटी में मामले की सुनवाई चल रही है और वन विभाग द्वारा जवाब नहीं दिए जाने के पर कोर्ट की फटकार के बाद वन विभाग द्वारा कोर्ट को दिए जाने वाले जवाब पर सबकी नजरें जमी हुई है।
FC शर्तों का अनुपालन कराना वन विभाग का कर्तव्य/दायित्व होता है- जांच कमिटी

एक्टिविस्ट शनि कांत उर्फ मंटू सोनी ने एनजीटी में मामला दायर करने से पूर्व वन विभाग में भारत सरकार से लेकर राज्य सरकार को कई शिकायतें की थी। वन संरक्षक हजारीबाग के द्वारा बीते साल दो सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किया गया था। एसीएफ एके परमार और अभय कुमार सिन्हा जांच कमिटी ने इस वर्ष फरवरी माह में वन संरक्षक को जो रिपोर्ट दिया है,वह काफी चौंकाने वाला है। रिपोर्ट में लिखा है एनटीपीसी FOREST CLEARANCE के शर्तों का निर्ममता से उल्लंघन कर रही है। जिस उद्देश्य से यह शर्त लगाया गया था उसका अब तक उल्लंघन किया जा रहा है। जिसके कारण वन्य जीवों,खासकर हाथी के आवागमन बाधित होने के कारण अब तक दर्जनों आम नागरिक की मौत सड़क दुर्घटना में हो चुकी है और सबसे ज्यादा वन्य जीव प्रभावित हो रहे है ,उनका आवागमन प्रभावित हो रहा है और वन्य जीव भटक कर मानवीय आबादी में घुस जा रहे हैं और मानव जीवन के जान माल,कृषि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही वनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एनटीपीसी EC के शर्तों में संशोधन लेकर सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन कर रहा है। जिसका FC के शर्तों से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि EC और FC के शर्त दो अलग-अलग विषय हैं और दोनों डिवीजन के अलग-अलग मानकों के अनुसार शर्तो का पालन करना अनिवार्य किया जाता है। जांच कमिटी ने FC कंडीशन का सख्ती से पालन करने का अनुशंसा करते हुए लिखा है कि उक्त शर्त का अनुपालन कराना वन विभाग का कर्तव्य/दायित्व होता है। इसका उल्लंघन वन अधिनयम 1980 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत आता हैं ।
सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन में गड़बड़ियां हो चुकी है उजागर
एनटीपीसी द्वारा सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन के दौरान कई गड़बड़ियां पूर्व में उजागर हो चुकी है लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई है। जंगल मार्ग से सड़क कोयला ट्रांसपोर्टेशन के कारण एनटीपीसी और ट्रांसपोर्ट एजेंसी के खिलाफ वन विभाग ने तीन मामले दर्ज किए हैं । दो पहिया और तीन पहिया से कोयला ट्रांसपोर्टेशन का खुलासा करते हुए जिला खनन पदाधिकारी द्वारा एफआईआर के लिए बड़कागांव थाना में आवेदन दिया गया,लेकिन आज तक मामला दर्ज नहीं हुआ है। वहीं वन विभाग द्वारा औचक निरीक्षण में ट्रांजिट परमिट चौबीस से तीस घंटा जारी करने की गड़बड़ी को पकड़ा था। जिसमें आशंका लगाया गया था कि एक परमिट से कई खेप कोयला परिवहन किया जाता होगा। लेकिन स्थानीय प्रशासन में प्रभाव के कारण कार्रवाई आज तक नहीं हुई है।

