जौनपुर : अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में लिपिक और दलालों के गठजोड़ से भ्रष्टाचार खूब फल फूल रहा है, पैसे देकर यहां कुछ भी कराया जा सकता है. इसका ताजा प्रमाण यह है कि सड़क हादसे में तीन साल पहले जान गंवाने वाले युवक का भी मेडिकल प्रमाण पत्र बना दिया गया. इसका खुलासा एक स्टिंग आपरेशन में हुआ है. जिला अस्पताल में शारीरिक परीक्षण प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर लंबे समय से वसूली का खेल चल रहा है. जुलाई में 224, अगस्त में 208 लोगों के शारीरिक परीक्षण प्रमाण पत्र बनाए गए हैं. इस खेल का खुलासा करने के लिए तीन सितंबर के रिपोर्टर सड़क हादसे में 30 नवंबर 2016 को बीएचयू में जान गंवाने वाले मुकेश राजभर निवासी गोविंदपुर मनिहा के आधार कार्ड की फोटो प्रति और एक फोटो लेकर जिला अस्पताल पहुंचा, जहां दलाल ने 2 हजार रुपये में मृतक का मेडिकल प्रमाण पत्र बनवा दिया.
ऐसे बना प्रमाण पत्र
3 सितंबर 2019 को जिला अस्पताल पहुंचा. जहां उसने गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के मनिहा गोविंदपुर निवासी मुकेश राजभर के नाम से पंजीकरण कराया, फिर पर्ची लेकर जिला अस्पताल में मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले लिपिक के पास पहुंचा. लिपिक ने कहा कि जिसका मेडिकल बनना है वह कहां है.
रिपोर्टर ने कहा कि वह नहीं है और न ही आ सकता है, तो लिपिक ने कहा कि तो फिर मुश्किल है. रिपोर्टर ने कहा कि कुछ वैकल्पिक व्यवस्था बनाइये बहुत जरूरी है, तो लिपिक ने एक दलाल को इशारा किया. दलाल रिपोर्टर को इशारे से दूर बुलाकर ले गया. दलाल ने कहा कि 3 हजार रुपये देने होंगे. रिपोर्टर ने कहा कि बहुत ज्यादा है.
उसके पास सिर्फ 2 हजार रुपये हैं, तो दलाल ने कहा तो ठीक है. अधार कार्ड की फोटो दें दो. 15 मिनट बाद आना प्रमाण पत्र मिल जाएगा. फिर रिपोर्टर इधर – उधर घूमने के आधे घंटे बाद लिपिक के पास पहुंचा. जहां उसे मुकेश राजभर का मेडिकल प्रमाण पत्र मिल गया.
मेडिकल का यह है नियम
मेडिकल सर्टिफिकेट नौकरी, स्कूलों में नामांकन, शस्त्र लाइसेंस और खेलों में भाग लेने के लिए बनवाया जाता है. एक रुपये के पर्चे पर पंजीकरण कराने के बाद मेडिकल के लिए 32 रुपये फीस जमा करने का नियम है. इसके बाद नेत्र सर्जन, आर्थो सर्जन, फिजीशियन, ईएनटी से जांच के बाद ईसीजी कराई जाती है. डाक्टरों की रिपोर्ट के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. मेडिकल परीक्षण के लिए एक रुपये का पर्चा और 32 रुपये फीस जमा करनी होती है. सभी प्रक्रिया पूर्ण कराने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, बिना रहे किसी का मेडिकल प्रमाण पत्र जारी होने का प्रश्न ही नहीं उठता है.