एसआईटी में रांची के डीआईजी डीएसपी और 2 इंस्पेक्टर हैं शामिल
अधिकारियों के अलावा एक एक पीड़ित से भी होगी पूछताछ
रांची: जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति करने वाली रांची पुलिस को अब नया टास्क मिल गया है फर्जी सरेंडर मामले की नए सिरे से फाइल खुल जाएगी फर्जी सरेंडर मामले में दर्ज अनुसंधान की लीपापोती करने का आरोप पुलिस पर लगा है यही वजह है कि 6 साल बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ दोषी अधिकारियों तक नहीं पहुंचे थे अब इस पूरे मामले का नए सिरे से अनुसंधान के अलावा पीड़ितों से पूछताछ के निर्देश दिए गए हैं इस पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम बनाई गई है इस टीम की अगुवाई रांची के डीआईजी करेंगे लेकिन इसमें डीएसपी दाऊद कीड़ो इंस्पेक्टर सतीश कुमार और चंद्रशेखर को भी रखा गया है एसआईटी की कार्रवाई की मॉनिटरिंग सीआईडी के एडीजीपी अनिल पलटा करेंगे इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर दिया है इस जांच में आधा दर्जन अधिकारी नप सकते हैं अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने आदिवासी युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर करीब ₹100000000 तक की वसूली की और फर्जी तरीके से आत्मसमर्पण कराया एसआईटी को निर्देश दिया गया है कि वर्ष 2014 में रांची में दर्ज फर्जी सरेंडर के मामलों का नए सिरे से अनुसंधान करें जेल कैंपस में रखे गए 514 आदिवासी युवकों से पूछताछ करें आदिवासियों से किसने पैसा दिया था इसकी जानकारी हासिल करें सुरक्षा और प्रशिक्षण देने वाले सीआरपीएफ के उस समय के तीन कमांडेंट से भी पूछताछ होगी ।सीआरपीएफ के ट्रेनर, रांची में एसएसपी रह चुके दो अधिकारियों से भी पूछताछ होगी लोअर बाजार थाना में दर्ज एफ आई आर के अनुसंधान अभी इस दायरे में आएंगे जेल के उस समय के अधिकारियों से भी पूछताछ होगी रांची के लोअर बाजार थाना में पीड़ित युवक कृष्णा उरांव ने मामला दर्ज कराया था उसकी लिखित शिकायत पर 2014 में मामला दर्ज हुआ कांटा टोली स्थित दिग्दर्शन इंस्टिट्यूट के अधिकारियों की भी भूमिका इस में पाई गई थी विशेष शाखा के तत्कालीन एडीजीपी रेजी डुंगडुंग ने इस पूरे मामले की जांच कराई थी इस मामले में दलाल रवि बोदरा ने कहा था कि अधिकारियों के कहने पर उसने पैसे की वसूली की थी इंस्टीट्यूट के निदेशक दिनेश प्रजापति की भी गिरफ्तारी हुई थी