चतरा: बिहार के गया जिला अंतर्गत बाराचट्टी थाना क्षेत्र में देर रात पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में मारे गए दस लाख का इनामी माओवादी जोनल कमांडर आलोक के परिजनों ने गया पुलिस से शव देने की गुहार लगाई है. परिजनों ने कहा है कि बाल काल मे ही उसका नक्सली संगठन में शामिल होने से उनकी माली हालत बद से बदतर हो चुकी है. उनके सामने न तो रहने के लिये समुचित घर है और न ही जीविकोपार्जन के अन्य माध्यम. आलोक की पत्नी उसके संगठन में शामिल होने के बाद से अपने मायके में रहती है.
ऐसे में बिहार के गया से शव लाने की भी स्थिति में आज उसके परिजन नहीं हैं. क्योंकि शव को लाने में गाड़ी चाहिए और उसके लिये पैसे भी. परिजनों ने गया पुलिस और जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारियों से शव को चतरा स्थित उसके गांव मंगवाने की गुहार लगाई है.
कहा है कि वर्ष 2002 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उसकी शादी कर दी गई थी. लेकिन गांव में हुई एक हत्या की घटना में उसे फर्जी केश में फंसा दिया गया था. जिसके बाद वह घर-परिवार छोड़कर भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गया. परिजनों ने बताया कि आलोक संगठन में जाने के बाद से अबतक घर नहीं लौटा है. उसके घर मे अब बूढ़े माता-पिता ही रह गए हैं.
परिजनों ने कहा कि उसे कई बार हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की थी लेकिन वह नहीं माना था. आलोक के परिजनों ने अन्य नक्सलियों से मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है.
गौरतलब है कि पुलिस इनकाउंटर में मारा गया दस लाख रुपये का इनामी जोनल कमांडर आलोक चतरा सदर थाना क्षेत्र के बरैनी-सिकिद गांव का रहने वाला था. उसके विरुद्ध जिले के विभिन्न थानों में एक दर्जन से अधिक दुर्दांत मामले दर्ज हैं और पुलिस को उसकी लंबे समय से तलाश थी.