नई दिल्ली:- नए कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर आंदोलन कर रहे किसान इसे रबी फसल की कटाई तक नहीं खींचना चाहते. उनकी कोशिश आंदोलन को और तेज कर इससे पहले अपनी मांगों को मनवाने की है. किसान संगठनों के बड़े नेता अब नई कूटनीति के तहत आगे बढ़ने की तैयारी में हैं.
किसान नेता सरकार पर दबाव बढ़ाकर फसल कटाई से पहले अपनी मांगें मनवाना चाह रहे हैं. किसान आंदोलन दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है. अब तक सरकार के साथ 9 बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. 15 जनवरी की वार्ता भी बेनतीजा रही, अब 19 जनवरी को बातचीत होगी.
भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति हरियाणा के प्रदेश प्रभारी महेंद्र राठी ने कहा कि अब तक 70 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं. सरकार किसान आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है ताकि किसान खुद ब खुद अपना आंदोलन खत्म कर दें.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करनी है. लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यह कमेटी दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट अवश्य दे देगी.
संभावना इसका समय बढ़ने की रहेगी. तब तक रबी की फसल कटाई का समय आ जाएगा. किसान एक तरफ आंदोलनरत रहेगा और दूसरी ओर फसलों को काटने और संभालने का दबाव उस पर बन जाएगा. इसी संभावना को लेकर सरकार आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है.
ऐसे में आंदोलन चला रहे संयुक्त किसान मोर्चा को सटीक कूटनीति बनाकर कदम उठाने की जरूरत है. आंदोलन को लीड कर रहे किसान नेताओं को अपनी रणनीति इस तरह से बनाने की है कि सरकार फसल पकने से पहले ही तीनों कानूनों को रद्द करने पर मजबूर हो जाए. राठी ने सब किसान संगठनों, किसानों व आंदोलन से जुड़े साथियों से अपील की कि आंदोलन को सफल बनाने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा.