नीता शेखर,
“सूरज है तू मेरा चंदा है तू, ओ मेरी आंखों का तारा है तू “
माता पिता से बड़ा गुरु और दोस्त कहिए या प्यार करने वाला कोई नहीं होता. हम सब जानते हैं कि एक दिन यह चक्र बदलता है पुत्र से पिता और पिता से पुत्र ही जीवन का रहस्य फिर भी समय की नियति कहिए या समय की मांग.
हम जानते बुझते भी उस गलती के लिए तैयार हो जाते हैं.
सतीश छह बहनों में सबसे छोटा था कितना पूजा-पाठ और दुआ मांगने पर वह पैदा हुआ था, इसलिए थोड़ा लाडला भी था इस लाल और प्यार के कारण वह थोड़ा जिद्दी भी हो गया था. उसके पापा कुछ ज्यादा ही प्यार करते थे हालांकि सभी जानते थे यह सब ठीक नहीं है फिर भी पापा को कौन बोले किसी की हिम्मत नहीं थी. देखते-देखते सतीश 5 साल का हो गया अब वह स्कूल जाने लगा था पढ़ाई में उसको मन नहीं लगता.
उसे ऐसा लगता मानो किसी ने उसे जबरदस्ती पढ़ने बैठा दिया हो वह कई बार क्लास के बाहर ही बैठा रह जाता था. सभी बहनों की शादी अच्छे घरों में हो गई अब केवल सतीश के पापा और वह खुद अकेले सतीश बहुत खुश था. अब वह जो चाहता करता अब रोकने वाला कोई नहीं था. अब उसके पापा की भी उम्र होती जा रही थी, अब उन्हें चिंता सताने लगी थी सतीश का गुजारा कैसे होगा. पर सतीश को किसी बात की फिक्र नहीं थी. किसी की बात सुनता ही नहीं था ऐसे ही समय बिता जा रहा था .
सतीश सुबह घर से निकलता तो रात को ही वापस आता . कहां जाता है क्या करता कुछ पता ही नहीं होता. कोई उससे पूछने की हिम्मत ही नहीं करता यह सब उसके पापा का ही किया था. आज उसके पापा को बार-बार लग रहा था काश मैंने उसको अच्छी शिक्षा दी होती. यही सोच सोच कर उसके पापा की तबीयत खराब हो गई. धीरे-धीरे वह कमजोर होने लगे. और एक समय आया ऐसा आया जब उन्होंने कहा मैं दिल्ली जा रहा हूं और बूढ़े बाप को छोड़कर चला गया.
अचानक एक दिन उसके पापा की तबीयत काफी खराब हो गई उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. सतीश की बहने भी देखने आ गए गई बहनों ने पता भी करवाया पर उसका कहीं पता नहीं चला. मां का रो-रोकर बुरा हाल था लेकिन करे तो करे क्या वह कभी बता कर जाता ही नहीं था. ऐसे ही एक दिन सतीश के पापा की तबीयत बहुत खराब हो गई डॉक्टर ने कहा मरीज ठीक हो सकता जब वह ठीक होना चाहे. मगर वह ठीक होना चाहते ही नहीं है डॉक्टर ने सब से कहा प्रार्थना कीजिए, धीरे-धीरे सतीश के पापा की हालत बिगड़ती जा रही थी. और उसका कोई पता नहीं था।
एक दिन अस्पताल में काफी चहल-पहल थी, पता चला आज फादर्स डे है और सभी को उपहार दिया जा रहा था उसमें सतीश के पापा का भी नाम था जैसे ही सतीश के पापा का नाम पुकारा गया पीछे से गाने की आवाज आई” पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा” सामने से सतीश प्रकट हुआ उसके हाथ में अपने पापा के लिए तोहफा और हाथ में सर्टिफिकेट्स थी उसने पापा को प्रणाम किया और उसके हाथ में उनके हाथ में तोहफा और सर्टिफिकेट पकड़ा दिया, सतीश ने कहा पापा आज फादर्स डे पर आपके लिए.
अचानक बूढ़ी आंखों में चमक आ गई जैसे ही उन्होंने सर्टिफिकेट देखा खुशी से उछल पड़े. सतीश का यूपीएससी में हो गया था और वह ट्रेनिंग के लिए मसूरी चला गया था. सतीश ने कहा मैंने जानबूझकर किसी को नहीं बताया क्योंकि फादर्स डे पर इससे अच्छा तोहफा अपने पापा को क्या दे सकता था. पापा की आंखों से आंसू छलक आए सचमुच इससे बड़ा तोहफा क्या मिल सकता था.
“हैप्पी फादर्स डे”