नई दिल्ली: दुनिया में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को लेकर 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों द्वारा हवा से कोरोना फैलने के दावे को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार किया है और साथ ही डब्ल्यूएचओ ने बचाव के दिशा निर्देश भी जारी किए हैं.
डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर गुरुवार को कहा कि इलाज के दौरान उन अस्पतालों में वायरस फैलने की आशंका अधिक है, जिन अस्पतालों में वेंटिलेशन यानी हवा की आवाजाही की व्यवस्था नहीं है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना के इलाज के दौरान बहुत छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स एरोसॉल के रूप में हवा में मौजूद रह सकते हैं और यह खासतौर पर अस्पताल परिसर के ऐसी जगह पर पाए जाते हैं, जहां हवा आने-जाने की उचित व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे जगह पर वायरस कई घंटों तक रह सकता है और उन रास्तों से गुजरने वाले लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं.
अस्पताल में ऐसे परिसरों में आम लोगों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों को भी अपना विशेष ख्याल रखने की जरूरत है. इसके लिए हमेशा मास्क पहन कर रखना जरूरी है और हाथों को समय-समय पर धोते रहना भी बेहद जरूरी है.
एक दूसरे के बीच कम से कम 3 फुट की दूरी बनाए रखना, भीड़भाड़ वाले और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचना बेहद जरूरी है.
इसके अलावा लोगों से कहा गया कि घरों में वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखें और कहीं बाहर जा रहे हैं तो हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करते रहें और अपने चेहरे को ना छुए हुआ.