सामान्यता बैसाख, जेठ, आषाढ़ मास ग्रीष्म के लिए जाने जाते हैं, परंतु इस अवधि में 9 दिन का एक विशेष योग बनता है, जिसे नौतपा योग कहते हैं. यह इस वर्ष ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि यानी 25 मई को सूर्य कृतिका से रोहिणी नक्षत्र में सुबह करीब 8.18 पर प्रवेश करेंगे और 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेगा.
सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 11 से 23 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है. इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा. लेकिन शुरुआती 9 दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है. इसलिए इन 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है. ये समय 25 मई से 2 जून तक रहेगा.
रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा होता है. सूर्य को तेज का प्रतीक कहा जाता है. जबकि चंद्रमा शीतलता यानी की ठंड कहा जाता है. परंतु यहां ज्योतिष के अनुसार सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है तो उसके प्रभाव का पूर्णता अस्त कर देता है, तो सूर्य जब चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेगा और वह चंद्र की शीतलता के प्रभाव को पूर्णत: समाप्त करके अपने प्रभाव ताप को चरम स्थिति की ओर लाता है.
यानी पृथ्वी को शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती और ताप अधिक बढ़ जाता है. नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती जिसके चलते तापमान बढ़ता है. जिसके फल स्वरुप पृथ्वी पर ताप इस गति से होता है की संपूर्ण जनमानस ही नहीं अपितु संपूर्ण प्रकृति भी इससे झुलस जाती है.
इस अधिक तापमान के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है. इस कारण कई जगहों पर ठंडी, तूफान और बारिश जैसे आसार भी नजर आने लगते हैं. बस इस दौरान हवाएं भले ही चलें लेकिन बारिश नहीं होना चाहिए, फिर बारिश का योग अच्छे से बन जाता है.
रोहिणी नक्षत्र के दौरान बारिश हो जाती है तो मानसून जिस तेजी के साथ बनता है उसमें कमी आती है जिसका दुष्परिणाम भविष्य में दिखाई देता है.
इसी अवधि में महेश नवमी रविवार 31 मई, गंगा दशहरा 1 जून सोमवार और निर्जला एकादशी 2 जून मंगलवार को स्थापित होगी, जोकि 30 तारीख को जब शुक्र अस्त हो जाएंगे उसके उपरांत ही यह पर्व आने वाले हैं.
अतः ज्योतिष के तत्वों को अगर विचार करें तो 2 जून तक का जो समय है यह अत्यंत ग्रीष्म के साथ संपूर्ण जन समुदाय एवं प्रकृति को भीषण प्रभाव से ग्रस्त रखेगा.
इस अवधि में सभी को अपने परिवार सहित अत्यधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होगी, ताकि घर परिवार में सभी सदस्य एवं जीव जंतु भी सकुशल रह सके.
साथ ही एक निवेदन भी सभी से है, क्योंकि ग्रीष्म काल चल रहा है. ऐसे समय में अनेकों अनेक जीव जंतु पशु पक्षी व्याकुल होकर इधर-उधर परेशान होकर घूमते हैं.
हम सब उनके लिए जलाधि की व्यवस्था करें तो अनायास ही कई ग्रहों से मुक्ति का उपाय प्राप्त कर लेते हैं तो आइए हम सब शपथ लें कि इस अवधि में ही नहीं अपितु आगे भी पशु पक्षी एवं जीव जंतुओं के लिए हम यथा योग्य जल एवं दाने का सहयोग करते रहेंगे.