नई दिल्ली: देश की बड़ी पेट्रोलियम कंपनी BPCL को बेचने के लिए मिली शुरुआती बोली को मंजूरी मिल गई है. CNBC TV18 के मुताबिक, पेट्रोलिमय मंत्रालय ने इसकी शुरुआती बोली को मंजूरी दे दी है. सरकार, 30 सितंबर 2020 तक कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रोसेस को पूरा करना चाहती है.
आपको बता दें कि बीपीसीएल के पास 15,177 पेट्रोल पंप और 6,011 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन एजेंसियां हैं. साथ ही इसके पास 51 पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) बॉटलिंग संयंत्र भी हैं. 20 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीपीसीएल के निजीकरण का फैसला किया था. इसके तहत बीपीसीएल में सरकार अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी और मैनेजमेंट कंट्रोल बेचना चाहती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को पेश किए अपने दूसरे बजट बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपए का रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीपीसीएल का प्राइवेटाइजेशन बेहद जरूरी है.
बीपीसीएल का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस समय 1.03 लाख करोड़ रुपए के करीब है. इस प्राइस के आधार पर सरकार की हिस्सेदारी 54 हजार करोड़ रुपए के करीब है यानी बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 54 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है.
केंद्र सरकार ने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिए एयर इंडिया, BPCL को बेचने का प्रोसेस तेज कर दिया है.
वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम का कहना है कि विनिवेश के लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है और इसे तय समय में आराम से प्राप्त किया जा सकता है. सीईए का कहना है कि एलआईसी की 10 फीसदी से कम हिस्सेदारी की लिस्टिंग से ही करीब 90 हजार करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं.
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा है लेकिन इसके पूरा होने की संभावना नहीं है. बजट में इस लक्ष्य को संशोधित कर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसमें से अब तक सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये जुटा लिये हैं. केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) की दो किस्तों से जुटाई गई राशि भी इसमें शामिल है.