मेदिनीनगर: पलामू के उपायुकत शशि रंजन ने कहा कि जिले में आम बागवानी के साथ-साथ रसदार फलों की खेती पर भी जोर देने की आवश्यकता है.
जिले में रसदार फल नींबू, संतरा, कीनों का बेहतर संभावनाएं है. इसके लिए यहां की मिट्टी भी उपयुक्त मानी जा रही है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत रसदार फलों की खेती हेतु प्रपोजल बनाकर ग्रामीण विकास विभाग को भेजें, ताकि अधिक संभावना आधारित रसदार फलों की खेती यहां की जा सके.
उपायुक्त जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. मनरेगा अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बागवानी के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम समाहरणालय के ब्लॉक-सी स्थित डीआरडीए सभागार में आयोजित हुआ.
उपायुक्त ने कहा कि पिछले वर्ष बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत आम बागवानी की अच्छी उपलब्धि रही है. इस वित्तीय वर्ष में इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके लिए सामूहिक सहभागिता जरूरी है. अधिकाधिक लोगों को इस से जोड़े और उन्हें पौधों के साथ उसमें आने वाले फलों की अहमियत के बारे में जागरूक करें.
उन्होंने अधिकारियों को पंचायत स्तर पर लोगों को प्रेरित करने, लोगों को जागरूक करने एवं पौधे की सही से देखभाल एवं उसकी सुरक्षा हेतु जागरूक करने की बात कही. उन्होंने कहा कि सामूहिक सहभागिता से एक बड़े क्षेत्रफल में बागवानी का कार्य आसानी से किया जा सकता है.
गर्मी के मद्देनजर उपायुक्त ने पूर्व के पौधों की विशेष देखभाल एवं उसकी सिंचाई पर ध्यान देने की बातें कही. उन्होंने कहा कि गर्मी के इन 2 महीनों में पौधे को बचा ली जाए, तो बड़ी उपलब्धि होगी.
मनरेगा के जिला कार्यक्रम समन्वयक-सह-उप विकास आयुक्त शेखर जमुआर ने कहा कि पौधों को गर्मी में विशेष रूप से संभालें. उन्होंने कहा कि टाइम फ्रेम पर जोर देते हुए 18 अप्रैल तक योजना स्थल और लाभुकों का चयन सुनिश्चित करने, योजना को पंचायत कार्यकारिणी से अनुमोदन कराकर प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कराने की बातें कही.
30 अप्रैल तक प्रखंड व पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर प्रशिक्षण देने, कलस्टर को-ऑर्डिनेटर, बागवानी सखी का चयन कर साप्ताहिक बैठक सुनिश्चित कराने को कहा. वहीं लाभुक समिति का गठन करने, 30 अप्रैल से 15 मई तक गड्ढे की खुदाई, 7 मई तक मेटेरियल के प्रस्ताव को जिला में भेजने की बातें कही, ताकि मई के प्रथम सप्ताह में आगे की कार्रवाई शुरू हो सके. उप विकास आयुक्त ने सभी को बागवानी हेतु प्रेरित करने, समय के साथ पौधरोपण एवं पौधे की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की बातें कही.
जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बागवानी के सफल क्रियान्वयन हेतु बागवानी सखी का चयन और उनका सप्ताहिक बैठक करने तथा लाभुक समिति का गठन करने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि बागवानी से अधिक- अधिक लोगों को लाभान्वित करने पर ध्यान दें. उन्होंने बागवानी की विशेषताओं पर भी बल देते हुए कहा कि बागवानी से एक ओर हमें छाया, शुद्ध वायु मिलती है. वहीं दूसरी ओर उसके फलों से किसान आत्मनिर्भर बनेंगे.
प्रशिक्षण में सीएसओ मृत्युंजय रत्नाकर एवं जवाहर मेहता ने भी लोगों को जानकारी दी. कहा कि योजना स्थल का चयन उपयुक्त होना जरूरी है. जमीन का ढलान 8प्रतिशत से कम हो, पैच में मिट्टी की गहराई कम से कम 1 मीटर हो एवं सलाना एक बार कृषि कार्य किया जा रहा हो.
उन्होंने कहा कि अधिक टांड़ वाली भूमि में पौधा सूखने एवं अधिक नीचले भाग में जलजमाव से पौधा नुकसान होने का डर रहता है. उन्होंने किसान लाभुकों को आसपास के बागवानी का भ्रमण कराने की भी बातें कही, ताकि उनमें जागरूकता आए.
इसके साथ ही जानवर से बचाव हेतु ठीक से घेरान करने की बातें कही. वहीं नीलगाय से बचाव हेतू घेरान की ऊंचाई अधिक रखने एवं उसके बाहरी भाग में गड्ढा खोदने की सलाह दी.
प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक दिलीप कुमार पांडेय ने भी पौधरोपण की तकनीकी जानकारी दी. मौके पर उपायुक्त श्री शशि रंजन के साथ उप विकास आयुक्त श्री शेखर जमुआर, जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला,कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक दिलीप कुमार पांडेय, डीआरडीए के पीओ उपेंद्र राम, एपीओ संजय कुमार, सुधीर कुमार, सीएसओ मृत्युंजय रत्नाकर, जवाहर मेहता, के अलावा मनरेगा के कनीय अभियंता, बीपीओ एवं जेएसएलपीएस के बीपीएस उपस्थित थे.