सबसे अधिक वन पट्टा पश्चिमी सिंहभूम जिले में रहने वाले वनवासियों को मिला
चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त अरवा राजकमल के द्वारा जानकारी दी गई कि झारखंड सरकार की प्राथमिकता है कि वैसे सभी लाभुक जो वनाधिकार पट्टा पाने की अहर्ता रखते हैं, चाहे वह आदिवासी समुदाय के भाई-बहन हो या किसी अन्य जाति के हो, उन सभी को विशेष शिविर के माध्यम से चिन्हित करते हुए वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा, इसके लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधि गण, मानकी-मुंडा गण से उनका आग्रह रहेगा 13 दिसंबर 2005 के पूर्व से क्षेत्र में रहने वाले छूटे हुए व्यक्ति जिन्हें वन अधिकार पट्टा नहीं मिला है उन सभी को चिन्हित करने में प्रशासन का सहयोग दें. उन्होंने बताया कि उक्त तिथि से पूर्व से आदिवासी समाज के व्यक्ति यदि एक पीढ़ी से वन भूमि पर वासित हैं या खेती कर रहे हैं अथवा दूसरे जाति के हैं तो तीन पीढ़ी यानि 75 वर्ष से वन भूमि पर वासित है या वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं ऐसे सभी व्यक्तियों को चिन्हित करते हुए वन अधिकार पट्टा से अच्छादित कर सकते हैं.
उपायुक्त ने बताया कि संख्या के हिसाब से समस्त झारखंड में इसी जिले में सबसे ज्यादा वन अधिकार पट्टा दिया गया था और मैं अभी भी यह मानता हूं की बहुत छुटे हुए आदिवासी भाई-बहन हैं जो जानकारी के अभाव में वन अधिकार पट्टा के लिए आवेदन जमा नहीं कर पाए हैं तथा यह ध्यान रहे कि उपर्युक्त तिथि के पूर्व से रहने वाले ही व्यक्ति इसके लिए योग्य हैं तथा उक्त तिथि के बाद बसने वाले या वन भूमि का प्रयोग करने वाले व्यक्ति इसके लिए योग्य नहीं है. उन्होंने बताया कि वन अधिकार पट्टा किसी व्यक्ति विशेष को ही नहीं अपितु सामुदायिक स्तर पर भी दिया जा सकता है इसके लिए भी जिला प्रशासन प्रयासरत रहेगा.
उपायुक्त के द्वारा आगे जानकारी दी गई कि सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा देने के लिए कुछ आहर्ताएं हैं यथा सामुदायिक स्तर पर जंगल की उपज का लाभ उठाया जा रहा हो या वन भूमि का प्रयोग पशु चारागाह के रूप में किया जा रहा हो या वन भूमि का प्रयोग करते हुए आवागमन कर रहे हो या वन क्षेत्र को व्यवस्थित कर रहे हो ऐसे सभी लोग इसके अंतर्गत आएंगे.
उन्होंने बताया कि वन अधिकार पट्टा का मतलब यह नहीं है कि आप वन को काट सकते हैं लेकिन आप सिर्फ वन भूमि का प्रयोग कर सकते हैं. उपायुक्त ने बताया कि जिला अंतर्गत सभी ग्रामीण क्षेत्रों में नियमानुसार ग्राम सभा आयोजित करते हुए 28 नवंबर तक संबंधित प्रतिवेदन अपने-अपने अनुमंडल कार्यालय में जमा कर सकते हैं परंतु इस प्रक्रिया में अनुमंडल पदाधिकारी को छोड़कर कोई भी पदाधिकारी सक्षम पदाधिकारी नहीं है लेकिन वंचित व्यक्ति इसका लाभ ले सकें इसलिए सभी अंचलाधिकारी को भी सहयोग देने के लिए निर्देशित किया गया है और आगामी 2 दिसंबर को एक साथ जिले के तीनों अनुमंडल में वनाधिकार समिति का बैठक निर्धारित किया गया है और प्राप्त सभी दावों का निष्पादन किया जाएगा.
उपायुक्त ने बताया कि उक्त बैठक के उपरांत जिला स्तर पर भी आगामी 18 दिसंबर तक बैठक निर्धारित करने की योजना तय की गई है तथा सभी संबंधित दस्तावेज चाहे व्यक्ति विशेष का हो या सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा दिलाने का हो तैयार कर लिए जाएंगे और जब झारखंड सरकार के कार्यकाल का 1 वर्ष पूरा होता है तो एक आयोजन के माध्यम से अथवा छूटे हुए सभी योग्य लाभुक को तय सीमा के अंदर वन अधिकार पट्टा उपलब्ध करवाने हेतु जिला प्रशासन कार्य कर रही है लेकिन इस कार्य में आप सभी का सहयोग विशेषकर मुंडा गण का आवश्यक है तथा इनके तत्परता के कारण ही पूर्व में भी समस्त राज्य में सबसे ज्यादा वन अधिकार पट्टा इस जिले के व्यक्तियों को दिया भी गया है.