खास बातें:-
👉 उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे महोबा से निकल कर मुख्य सचिव तक का सफर तय किया, अब राज्य निर्वाचन आयुक्त की संभालेंगे जिम्मेवारी
👉 बिहार से हुई थी करियर की शुरूआत, पहला पदस्थापन मसौढ़ी(बिहार) के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में था
👉 पसंदीदा फिल्म है मदर इंडिया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मानते हैं अपना आइडियल
रांची: दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा…. मदर इंडिया फिल्म का यह गीत आज भी लोगों का हौसला बढ़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता. यह फिल्म कई बड़ी शख्सियत की प्रेरणा स्त्रोत है. समय निकाल आज भी लोग इस फिल्म को देखना नहीं भूलते.
राज्य के मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी की भी सबसे पसंदीदा फिल्म मदर इंडिया है. वे आज भी इस फिल्म को देखना पसंद करते हैं. दो टूक कहते हैं मेरी नजरों में इस फिल्म का कोई जोड़ नहीं. ह्यूमन नेचर की सबसे सर्वोत्तम फिल्म है. आज भी यह फिल्म मुझे प्रेरणा देती है. इसका प्रेजेंटेशन और कलाकारों का अभिनय दिल को छू जाता है.
डीके तिवारी ने उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे महोबा से निकल कर मुख्य सचिव तक का सफर तय किया है. अब राज्य निर्वाचन आयुक्त की जिम्मेवारी संभालेंगे. इसके पीछे कहीं न कहीं मदर इंडिया फिल्म, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और दत्ता एंड सुंदरम की पुस्तक इंडियन इकोनॉमी प्रेरणा स्त्रोत रही. वे इसे स्वीकार भी करते हैं.
डॉ. तिवारी की शैक्षणिक योग्यता का कोई सानी नहीं है. 1960 में जन्मे तिवारी की स्कूली शिक्षा यूपी के महोबा और ललितपुर में हुई. इसके बाद उन्होंने सबसे पहले किंग्स जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. किंग्स जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में वे 1977-82 तक पढ़ाई की.
झारखंड के छोटानागपुर लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की. पढ़ाई का सफर यहां तक रुका नहीं. इसके बाद डीके तिवारी ने यूनिवसिर्टी ऑफ मैनचेस्टर से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में मास्टर की डिग्री हासिल की. 1986 में यूपीएससी क्वालीफाई किया.
🔴 आइडियल हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस
डॉ. तिवारी आज भी अपना आइडियल नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मानते हैं. उनका कहना भी है कि देश की खातिर कोई समझौता नहीं हो सकता. नेताजी के बोल आज भी उनका हौसला बढ़ाती हैं. मुख्य सचिव आज भी उनकी बायोग्राफी का अध्ययन करते हैं. वे कहते हैं कि आज हम जिस मुकाम पर हैं उसमें कहीं न कहीं हमारे आइडियल का योगदान रहा है. उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे महोबा से निकल कर मुख्य सचिव तक का सफर तय किया है.
🔴 फेवरेट पुस्तक है इकोनॉमी इंडिया
देश और अपने राज्य झारखंड की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो, इसके लिए वे हमेशा गंभीरता से सोंचते हैं. नई आइडिया भी डेवलप करते हैं. सरकार के समाने इसे रखते हैं. कहते हैं कि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो देश और राज्य की तरक्की होगी. इस पर वे लगातार दत्ता एंड सुंदरम की किताब इंडियन इकोनॉमी का सहारा लेते हैं. वे इस किताब का हमेशा अध्ययन करते हैं. इस किताब के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार भी करते हैं. इसके अलावा इंडियन प्लान का डोकोमेंट भी देखते हैं. कहते हैं कि हैं कि किसी भी राज्य या देश की अर्थव्यवस्था ही रीढ़ होती है.
🔴 बिहार से हुई करियर की शुरुआत
डीके तिवारी 1986 बैच के आइएएस अफसर हैं. करियर की शुरुआत मसौढ़ी (बिहार) के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में की. वे इस पद पर 1988-90 तक रहे. रांची में 1990-92 तक एडिशनल डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट रहे. फिर बिहार के किशनगंज के डीएम के पद पर योगदान दिया. इस पद पर 1992-94 तक रहे. बीपीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर 1994-99 तक रहे. फिर वे झारखंड में एक्साइज कमिश्नर व आइजी रजिस्ट्रेशन बने. इस पद पर 2001-03 तक रहे.
प्रधान सचिव के रूप में मानव संसाधन विभाग झारखंड में योगदान दिया. इस पद पर 2013-14 तक रहे. प्रधान स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली के पद पर 2014-17 तक रहे. 2017 में डीके तिवारी को सीएस रैंक में प्रोन्नति मिली. उन्हें अपर मुख्य सचिव श्रम और जलसंसाधन बनाया गया.
7 जून 2018 को उन्हें राज्य का विकास आयुक्त बनाया गया. फिर झारखंड के मुख्य सचिव की जिम्मेवारी सौंपी गई. अब राज्यट निर्वाचन आयुक्त की जिम्मेवारी संभालेंगे.