नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को 2007 में आपातकाल लागू करने के लिए और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने को लेकर पाकिस्तान की तीन सदस्यीय विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई.
उनके खिलाफ दिसंबर 2013 में मामला दर्ज किया गया था. तीन नवंबर 2007 को आपातकाल लागू करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति पर दिसंबर 2013 में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
मुशर्रफ ने मार्च 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया था. वह फिलहाल दुबई में रह रहे हैं. 2013 में नवाज शरीफ सरकार ने मुशर्रफ के खिलाफ केस किया था.
इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पिछले शनिवार को लाहौर उच्च हाईकोर्ट (एलएचसी) में एक याचिका दायर कर इस्लामाबाद की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे की लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया था.
इस पर लाहौर हाईकोर्ट (एलएचसी) ने सोमवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आवेदन पर पाकिस्तान सरकार को एक नोटिस जारी किया था.
डॉन न्यूज के मुताबिक, शनिवार को वकीलों- ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी की ओर से दायर याचिका दायर में एलएचसी से विशेष अदालत में कार्यवाही बढ़ाने पर तब तक रोक लगाने के लिए कहा गया जब तक कि एलएचसी द्वारा मुशर्रफ की पूर्व की लंबित याचिका पर फैसला नहीं हो जाता.
मुशर्रफ ने अपने आवेदन में एलएचसी को विशेष अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही की घोषणा करने और उसके खिलाफ सभी कार्रवाई करने,
उच्च राजद्रोह की शिकायत शुरू करने से लेकर अभियोजन पक्ष की नियुक्ति और ट्रायल कोर्ट के गठन को असंवैधानिक करार दिया था. याचिका में,
पूर्व नेता ने एक विशेष अदालत के गठन को चुनौती दी थी, जिसमें देशद्रोह और गैर कानूनी कार्यो के आरोपों के तहत उनपर मुकदमा दायर किया गया था.