मुंगेर: जहां कोरोना के कारण सैलानि प्रकृति वादियों का लुप्त उठाने से वंचित थे. वही प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित मुंगेर के कई पिकनिक स्पॉट नए वर्ष का जश्न मनाने को आने वाले सैलानियों के स्वागत को तैयार है. अगर आप मुंगेर में रहते हैं और पिकनिक की सोच रहें है तो आपको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं.महाभारत कालीन नगरी मुंगेर के कई पिकनिक स्पॉट आपके स्वागत में तैयार हैं. आइए जानते है कि मुंगेर में कहाँ- कहाँ बेस्ट पिकनिक स्पॉट है.
जमालपुर काली पहाड़ी: जमालपुर स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर महाभारत काल से प्रसिद्ध काली माता का मंदिर पहाड़ के ऊपर चोटी पर अवस्थित है. जिस कारण वहां के पहाड़ी इलाकों को काली पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. यहां नव वर्ष पर पिकनिक मनाने के लिए मुंगेर जमालपुर के अलावा दूसरे जिले से भी भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं जंगल के बीच पिकनिक मनाने का आनंद दोगुना हो जाता है. वही पहाड़ पर काली माता के मंदिर के अलावे कृष्ण बलराम परिषद मंदिर सहित कई और भी मंदिर है. यहां लोग नए साल का आनंद लेने के साथ साथ आध्यात्मिक सुख का भी आनंद लेते हैं. जानकारों की माने तो यहां पर पांडवों ने वनवास काल के दौरान शरण ली थी. बताया जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव द्रुत कीड़ा में हार गए थे तब अज्ञातवास के दौरान वे पांचाली के साथ काली पहाड़ी पर कुछ दिन व्यतीत किए थे इस दौरान पांडु पुत्र अर्जुन ने यहां मां यमला काली की प्रतिमा स्थापित की थी जिसकी पूजा करने यहां साल भर सैलानी आते रहते हैं. नए साल में यहां पिकनिक मनाने आने वाले लोग माता काली के मंदिर में पूजा अर्चना कर मां काली के समक्ष मत्था टेककर लोग अपने अपने परिवार की सुख शांति एवं समृद्धि की कामना करते हैं और नए साल की शुरुआत करते हैं. यही पहाड़ के निकट तराई में रेलवे का वाटर फिल्टर प्लांट है. जहां से रेल इंजन कारखाना सहित विभिन्न रेलवे कालोनियों को पेयजल आपूर्ति की जाती है. यूं तो यह क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं है लेकिन प्रकृति की गोद में अवस्थित याह पिकनिक स्पॉट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है जहां पर लोग 1 जनवरी पर पिकनिक मनाने आते हैं.
भीम बांध:प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित घने जंगलों के बीच में अवस्थित भीमबंध की सुंदरता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।खड़गपुर अनुमंडल क्षेत्र से 26 किलोमीटर दूर खड़गपुर जमुई मुख्य मार्ग के सवा लाख बाबा स्थान से पश्चिम दिशा की ओर सात किलोमीटरअंदर घनी जंगलों को चीरती हुई सड़क पहाड़ की तराई तक जाती है जहां जंगलों के बीच अवस्थित है भीमबंध वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र। जहां गर्म एवं ठंडे जल के खूबसूरत झरने के अलावे सैलानियों के लिए बांस कि कलाकृतियों से र्निमित खूबसूरत पार्क भी है जो भीम बांध की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. जंगलों में खूबसूरत पिकनिक स्पॉट होने के कारण यहां लोगों को डर लगा रहता है. लेकिन भीमबंध में सीआरपीएफ कैंप की स्थापना होने के बाद पर्यटक यहां बिना किसी डर भय के पहुंचते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठाते हैं.
खड़गपुर झील: यू तो प्रकृति सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है. खरगपुर झील पहाड़ों से घिरा हुआ घने जंगलों की हरियाली के बीच अवस्थित है यह झील के नजारों का आनंद उठाने दूर-दराज से लोग यहां आते हैं. सर्दियों के मौसम के अलावे गर्मियों में भी खुले वातावरण में झील के किनारे पिकनिक मनाने वाले लोग काफी संख्या में यहां आते हैं और यहां की प्राकृतिक खूबसूरती की नजारे का लुफ्त उठाते हैं. यहां पर आने वाले लोग लकड़ी की नाव से बोटिंग का आनंद भी उठाते हैंऔर झील के किनारे पिकनिक मनाते हैं. यह झील ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है बल्कि यह इस क्षेत्र के भूमि के सिंचाई के लिए भी महत्वपूर्ण है.
ऋषि कुंड: ऋषि कुंड को ऋषि-मुनियों की तपोभूमि भी कहा जाता है. यहां कई मंदिर है ऋषि कुंड धार्मिक व पौराणिक स्थलों के रूप में भी विख्यात है. यहां से कई किंवदंतियां भी जुड़ी हुई है. किंवदंतियों के अनुसार श्रृंगी ऋषि ईसी ऋषि कुंड के पहाड़ी श्रंखला व जंगली इलाकों में रहते थे. यहां राजगीर और पुष्कर की तर्ज पर हर 3 साल में एक बार मलमास का मेला लगता है यह 1 महीने तक चलने वाले इस मेले में देश के दूसरे हिस्से से भी साधु संत यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. ऋषि कुंड के गर्म जल का झरना यहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अपनी और आकर्षित करता है. इस कुंड के गर्म पानी में औषधीय गुण भी है. जो चर्म रोग व पेट के रोग को खत्म करता है. नए साल के जश्न मनाने यहां हजारों हजार की संख्या में लोग पहुंचते हैं.