पटना: पटना की नाक विधायक फ्लैट वीरचंद पटेल पथ में विधायक बसेरा के सट्टे आयकर गोलम्बर के निकट एक मजदूर मिला जिसको गुड़गांव से लेकर बिहार तक कोई भी किसी भी तरह का मेडिकल टेस्ट नहीं कराया गया.
सरकार की अपनी मनमानी कर रही है. जब चाहे जिनको भी एरिया सील करवा कर जांच करवाने के लिए भेज दिया जाता है लेकिन एक गरीब मजदूर का सुनने वाला कौन? अब देखना है की इस कोरोना के नाम पर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने मजाक बना कर रख दिया है. या फिर इस पर करवाई भी हो रही है अगर हो रही है तो कहा गई सारी बॉर्डर की पुलिस जिन्होंने गुंडगांव से पटना आने वाले मजदूर व्यक्ति का अब तक मेडिकल जांच नहीं कराया गया. यह आप बीती मजदूर ने खुद बतायी है.
मजदूर शंकर रजक पिता-ब्रह्मदेव रजक, पता-दौड़ता पुर,पोस्ट+थाना=अहरपुर जिला मुंगेर के निवासी है जो कई दिनों से गुड़गावं में रहकर मजदूरी का काम करता था. लॉकडाउन के दौरान गरीब मजदूर को बीरेंदर सिंह ठिकेदार (मालिक) के द्वारा बिना मेडिकल जांच कराए गुड़गावं से दिल्ली के लिए टेम्पू पर बैठा दिया गया। फिर वह मजदूर दिल्ली से फरीदाबाद पैदल आया गया। हरियाणा से UP बॉर्डर के लिए पुलिस के द्वारा मालवाहक गाड़ी पर बैठा दिया गया. लखनऊ से ट्रक के द्वारा केसरिया गांव फिर केशरिया गांव से पटना गंगा पुल पर छोड़ दिया गया. शुक्रवार को छोड़ने के बाद वह सुबह से पूरा पटना का चक्कर मारा. सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर बिहार सरकार ने अब तक इस बाहर से आये मजदूर का मेडिकल टेस्ट नहीं कराया.