रांची: पूर्वी क्षेत्र जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप समेत तमाम प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतकर झारखंड का मान बढ़ाने वाली गीता आज सब्जी बेच रही है. वो अपने माता-पिता के साथ हर दिन हाट जाती है, वहां घंटों बैठ कर सब्जियां बेचती है.
वेस्ट बोकारो के उभरती एथलीट गीता के गले में मेडल तो कई सजे हुए हैं, पर जीवनयापन के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाया है. आर्थिक तंगहाली उसकी प्रतिभा पर भारी पड़ रही है.
बीएनएन से खास बातचीत में उसने बताया कि पहले तो चौक पर उसके माता- पिता सब्जी लगाते थे. लेकिन, वहां बिक्री नहीं होती थी. इसलिए काफी कहने के बाद वहां शॉपिंग सेंटर में व्यवस्था मिली है.
कमाने की बात पर गीता ने कहा कि पहले तो कभी चार सौ मिल जाते थे, तो कभी एक हजार, पर लॉकडाउन की वजह से वो भी नहीं हो पाता है. एक बजे दुकान बंद कर देना पड़ता है जिससे परेशानी होती है.
आलू-प्याज तो बिक जातेे हैं पर हरी सब्जिंयां खराब हो जाती हैं, दूसरा दिन हो जाने की वजह से फेंक देना पड़ता है. यह केवल एक गीता की बात नहीं है यह कहानी हर उन खिलाड़ियों की है, जिनके पास प्रतिभा होते हुए भी बेरोजगार हैं उनके पास गुजारा करने तक का कोई साधन नहीं है.
गीता अपने पिता इंद्रदेव प्रजापति व मां बुधनी देवी की मदद कर रही है ताकि, अपना और अपने परिवार खर्च उठा सके. उसके पिता इंद्रदेव प्रजापति कहते हैं कि गरीबी और तंगहाली से परेशान हैं. सब्जी की दुकान तो लगाते हैं पर हालत काफी खराब है. गरीब हैं कहां जायें किसके पास जायें जो मेरी बेटी काे नौकरी देगा.
लॉकडाउन की वजह से खर्च भी नहीं निकलता:
लॉकडाउन के पहले टाटा प्रतियोगिताएं कराया करती थीं, जिससे अपना खर्च निकल जाया करता था, घर में सहयोग हो जाता था. टाटा ने कांट्रैक्ट में नौकरी भी मिली थी, वहां से तीन हजार रुपये मिल जाया करता था अब लॉकडाउन की वजह से वो भी नहीं मिल रहा है.
अब सब्जी बेचकर ही गुजारा कर रही हूं. सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. टाटा के जीएम व कोच राजीव रंजन सर का बहुत सहयोग रहता है. पैसे भी देते हैं.
कई पदक जीते:
गीता ने नेशनलिस्ट जोन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कई बार भाग लिया और लगभग आधा दर्जन पदक अपने नाम किए. वर्ष 2012 में टाटा स्टील वेस्ट बोकारो एथलेटिक्स ट्रेनिंग सेंटर से जुड़कर प्रशिक्षक राजीव रंजन सिंह के सानिध्य में खुद को तराशना शुरू किया.
3, 5, 10 और 20 किलोमीटर स्पर्धा में शानदार प्रतिभा की बदौलत नेशनलिस्ट जोन ईस्ट प्रतियोगिता में पदक जीतने के अलावा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में फॉर्म मेडल कॉलेज सीट चांसलर ट्राफी में दो मेडल और इंटर कॉलेज गेम्स में 5 पदक अपने नाम किए गीता ने 2013 से 2018 के बीच यह पदक अपने नाम किए हैं.
कॉलेज प्रबंधन का भी मिल रहा है सहयोग:
गीता ग्रेजुएशन कर रही है, वो पार्ट-टू में पढ़ रही है. उसका नामांकन खेल कोटा में हुआ है. उसकी प्रतिभा को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन ने उसकी फीस भी माफ कर दी है.