नई दिल्ली : एयर इंडिया के निजीकरण के अपने प्रस्ताव को देखते हुए सरकार ने कंपनी में व्यापक स्तर पर सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रोकने का निर्देश दिया है.
सिर्फ कुछ नई उड़ानें शुरू की जा सकती हैं, वह भी बहुत जरूरी होने पर और व्यावसायिक स्तर पर लाभकारी दिख रही हो तो.
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एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, “यह निर्देश लगभग एक सप्ताह पहले आया है. इसके अनुसार, आगामी निजीकरण को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाना है. इसके तहत नियुक्तियां और पदोन्नति भी रोक दी जाएगीं.”
यह निर्देश निवेश तथा जन संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने दिया है.
पिछले कार्यकाल में बोली लगाने वाले को ढूंढने में नाकाम रही मोदी सरकार इस कार्यकाल में एयर इंडिया को निजी हाथों में देने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है.सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया में निर्णय लेने के लिए मंत्रियों के समूह (GOM) को दोबारा गठित किया है.
कंसल्टिंग फर्म ईवाई पहले से ही निजी बोली लगाने वालों को आमंत्रित करने के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही है.
एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस बार, विनिवेश को लेकर कोई संदेह नहीं है. जिस गति से चीजें हो रही हैं, विमानन कंपनी का मालिकाना हक किसी निजी कंपनी के पास पहुंच जाएगा.”
एयर इंडिया पर कुल लगभग 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. राष्ट्रीय विमानन कंपनी का संचयी नुकसान 70,000 करोड़ रुपये है. इसी साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में विमानन कंपनी को 7,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसी सप्ताह कहा था कि एयर इंडिया को बचाने के लिए उसका निजीकरण करना होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार ऐसी विमानन कंपनी को चलाने के लिए तैयार नहीं है जहां संचालन संबंधी निर्णय प्रतिदिन लिए जाते हैं ना कि नौकरशाही प्रक्रिया या ठेका प्रक्रिया से.
पुनर्गठित GOM के अध्यक्ष गृह मंत्री अमित शाह अगले कुछ सप्ताहों में एयर इंडिया के निजीकरण से संबंधित निर्णय ले सकते हैं.