अब अधिक शिक्षण शुल्क बढ़ाने पर स्कूलों पर होगा जुर्माना
स्कूलों को पालन करना होगा, अमेंडमेंड एक्ट के प्रावधानों का
आशका पटेल, रांची
सरकार ने झारखंड एजुकेशन ट्रीब्यूनल (अमेंडमेंड) एक्ट 2017 को लागू कर दिया है. इसके तहत अब निजी स्कूलों को किसी भी तरह शिक्षण शुल्क बढ़ाने के पहले ट्रीब्यूनल के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा.
संशोधन अधिनियम के तहत निर्धारित सभी तय मानकों पर विचार करने के बाद ही शिक्षण शुल्क बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए एक शुल्क समिति भी गठित करने की बातें कही गयी हैं. यह समिति स्कूलों की संरचना, शैक्षणिक ढांचे और अन्य बुनियादी सुविधाओं का आकलन कर तय किये गये शुल्क पर अपनी राय देगी. शुल्क संरचना और संचार समिति आवेदन के तीस दिनों के अंदर प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को मंजूरी देगी.
इसके लिए विद्यालय के प्राचार्य को लिखित रूप से प्रस्तावित शुल्क का विवरण देना होगा. शुल्क समिति द्वारा निर्धारित तय किया गया ट्यूशन फीस दो वर्षों के लिए प्रभावी होगा.
यदि समिति द्वारा निर्धारित शुल्क में वृद्धि पिछले वर्ष के शुल्क से 10% से अधिक है, तो यह मामला जिला समिति को उसकी स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष उपायुक्त होंगे, जिसमें जिला शिक्षा अधिक्षक भी रहेंगे.
शुल्क समिति निर्धारित अवधि के भीतर शुल्क तय करने में विफल रहती है, तो जिला समिति इस पर अपना अंतिम निर्णय लेगी. किसी भी तरह के विलंब में स्कूल प्रबंधन को पिछले शैक्षणिक सत्र के शुल्क लेने छूट दी जायेगी. प्रबंधन या निजी स्कूल इस अधिनियम के उप सेक्शन 7A (1) (2) और (3) के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो उन्हें जुर्माना भी होगा. इसकी न्यूनतम राशि 50 हजार और अधिकतम 2.50 लाख होगी.