नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि सरकार आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने का काम कर रही कम्पनी एनबीसीसी को 500 करोड़ रुपये का लोन दे.
कोर्ट ने सरकार के वकील से कहा कि वह सरकार से कहें कि आम्रपाली प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ तुरंत लोन के तौर पर उपलब्ध कराए और साथ ही जीएसटी के तौर पर बनने वाले 1000 करोड़ टैक्स छोड़ने पर विचार करे.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि क्योंकि अब इस प्रोजेक्ट में कोई प्राइवेट कम्पनी नहीं है बल्कि भारत सरकार का उपक्रम एनबीसीसी बना रहा है, सरकार को लोन देने और जीएसटी रियासत देने पर विचार करना चाहिए.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच के सामने फ्लैट बॉयर्स के वकील एमएल लाहोटी ने कोर्ट के सामने एक नोट पेश किया जिसमें बताया गया कि आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अनसोल्ड प्रॉपर्टी को बेचकर 2220 करोड़ आ सकते हैं. ऐसे 5228 यूनिट अनसोल्ड हैं. 398 बोगस अलॉटमेंट आम्रपाली ने कर रखे हैं उससे भी पैसे आएंगे.
नोट में यह भी बताया गया था कि 5856 फ्लैट को आम्रपाली ने कम वैल्यू में बेचे हैं उससे 345 करोड़ की रिकवरी हो सकती है. आम्रपाली के तमाम प्रॉपर्टी की निलामी के जो सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेश हुए हैं उससे 7881 करोड़ आ सकते हैं. आम्रपाली के डायरेक्टर्स की संपत्ति से 799 करोड़ रुपये आ सकेंगे.
सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कोर्ट को बताया कि आम्रपाली ने वित्तीय सलाहकार कम्पनी जे पी मॉर्गन में 187 करोड़ रुपए फंड डाइवर्ट किया है. ईडी ने कोर्ट से जे पी मॉर्गन की संपत्ति जब्त करने की अनुमति मांगी जिसे कोर्ट ने दी है. यानी ईडी जे पी मॉर्गन कम्पनी की 187 करोड़ की संपत्ति जब्त करेगी. साथ ही को जेपी मॉर्गन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई भी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकील अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि वह बॉयर्स के वकील एमएल लाहौटी के सुझाव के बारे में प्लान लेकर आए कि कैसे एक्शन होगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा है कि वह आम्रपाली के हार्टबीट और टेक पार प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर जारी करें.