रांची: कोरोना महामारी के चलते झारखंड के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा बुधवार से पूरे राज्य में सार्वजानिक जगहों पर सभी तरह के तम्बाकू उत्पादों व सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला, हुक्का, खैनी, जर्दा, गुटका और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है जोकि सरकार का सराहनीय कदम है. इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे.
अल्लामेलू चेरीटेबल फाउंडेशन (टाटा ट्रस्ट) और संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए बयान जारी कर कहा कि देशभर में प्रतिवर्ष करीब 13 लाख लेग इसके सेवन से होने वाली बीमारियों से बैमौत मरते है और झारखंड में हर साल 35000 लोगों की मृत्यु होती है जेकि हम सभी के लिए चिंताजनक है.
वहीं इससे होने वाली बीमारियो पर तंबाकू व अन्य उत्पादों से होने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा इस पर खर्च होता है. सिगरेट व बीड़ी के बट से व गुटखे के कागज व थूकने से जमीन पर गंदगी फैलती है, जिससे संक्रमण व बीमारियों का खतरा बढ़ता है. साथ ही उसकी साफ सफाई पर भी बहुत खर्चा होता है.
कोरोना महामारी में ये सभी उत्पाद खासतौर पर चबाने वाले तंबाकू उत्पाद बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं. इससे संक्रमण की संभावना अधिक है.
अल्लामेलू चेरीटेबल फाउंडेशन (टाटा ट्रस्ट) के नीरज कौशिक ने बताया कि तंबाकू का उपयोग शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है. युवाओं में तंबाकू उत्पादों के सेवन की शुरूआत को रोकना अब तक तंबाकू की महामारी को रोकने का सबसे अच्छा समाधान और उपाय है. उन्होंने कहा पदार्थों की रोकथाम इलाज से बेहतर है.
कौशिक ने बताया कि झारखंड में 88 लाख लोग (38.9 प्रतिशत) किसी न किसी रुप में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का उपभोग करते है. इसके साथ ही यहां पर 147 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं जिसमें 11.1 प्रतिशत स्मोकिंग,35.4 स्मोकलेस का उपभोग करते है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जारी आदेश को प्रदेश के सभी जिलों में प्रभावी तरीके से लागू कराया जाना चाहिए, ताकि कोरोना महामारी के संक्रमण की रोकथाम में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी.