धनबाद: सूर्योपसना का महान पर्व छठ को लेकर बिहार और झारखंड समेत देश के अन्य हिस्सों में भारी उत्साह है. पहले अर्घ्य के साथ धनबाद के छठ घाटों में छठव्रतियों की भारी भीड़ जुटी. इस दौरान व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. बेकारबांध , विकासनगर एवं मनईटांड़ छठ घाट पर भारी भीड़ उमड़ी. विधायक , राज सिन्हा , सांसद पीएन सिंह घाट पर मौजूद थे. उन्होंने सभी धनबादवासियों को छठ की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं और सूर्यदेव से राज्य की खुशहाली की कामना की है. छठव्रतियों ने घाटों में सूर्य को पहला अर्घ्य दिया. छठ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है.
सूर्योपासना के इस पर्व के धार्मिक दृष्टि से तो विशिष्ट माना ही जाता है, साथ ही इसे साफ सफाई एवं पर्यावरण की नजर से भी महत्वूपर्ण माना जाता है जिसे देश के साथ विदेशों में कई जगहों पर पारंपरिक श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा में स्वच्छता का विशेष महत्व है. इसमें चढ़ाए जाने वाला प्रसाद पूरी तरह घर में ही बनाया जाता है, बाजार से खरीदे गये प्रसाद का उपयोग नहीं किया जाता.
गेहूं के आटे और गुड़ को मिलाकर ठेकुआ बनाया जाता है. इसके साथ ही टिकरी भी बनाया जाता है. नयी सब्जियां और फलों से सूप सजाया जाता है. फिर घुटने भर पानी में खड़े होकर व्रति उस सूप से भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. प्रसाद बनाने के लिए गेहूं को पूरी तरह से साफ किये गये चक्की में ही पिसावाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की अशुद्धि की तत्काल दैवीय सजा मिलती है. इस पर्व पर खासतौर पर बनाया जाने वाला पकवान ठेकुआ होता है. इसके अलावा नारियल, मूली, सुथनी, अखरोट, बादाम, नारियल, इस पर चढाने के लिए लाल पीले रंग का वस्त्र, एक बडा घडा जिस पर बारह दीपक लगे होते हैं.
तीसरे दिन या छठ के दिन 24 घंटे का निर्जल व्रत रखा जाता है, सारे दिन पूजा की तैयारी की जाती है. इस दिन अस्ताचल सूर्य की उपासना की जाती है. अगले दिन सुबह व्रती सूर्योदय के समय पानी में खडे होकर सूर्य देव की आराधना करते है.